बैंगलोर: कर्नाटक द्वारा तमिलनाडु को कावेरी का पानी छोड़े जाने के विरोध में आज मंगलवार (26 सितंबर) को बेंगलुरु में बंद का ऐलान किया गया है। बंद का आह्वान 'कर्नाटक जल संरक्षण समिति' ने किया है, जो किसान नेता कुरुबुरु शांताकुमार के नेतृत्व वाले किसान संघों और अन्य संगठनों का एक प्रमुख संगठन है।
कावेरी जल विवाद क्या है?
कावेरी नदी के जल बंटवारे के मुद्दे पर तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच दशकों से गतिरोध बना हुआ है। हालिया विवाद कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (CWMA) के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट द्वारा कर्नाटक सरकार की याचिका को खारिज करने पर है, जिसमें कर्नाटक को 13 सितंबर से 15 दिनों के लिए तमिलनाडु को 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ने के लिए कहा गया था। कर्नाटक सरकार ने कहा है कि वह पानी छोड़ने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि पीने के पानी और सिंचाई की उसकी अपनी जरूरतें हैं।
इस बंद के मद्देनजर बेंगलुरु पुलिस ने सोमवार आधी रात से मंगलवार की आधी रात तक CRPC की धारा 144 लागू कर दी थी। साथ ही पुलिस ने आज शहर में जुलूस की भी कोई अनुमति नहीं दी है। बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर के मुताबिक, शहर के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में पुलिस ने लगभग 1000 लोगों को हिरासत में लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि सटीक संख्या शाम तक मीडिया के साथ साझा की जाएगी।
वहीं, कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने विरोध प्रदर्शनों को नहीं रोकने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि उनकी सरकार विरोध प्रदर्शनों को कम नहीं करेगी और बंद के दौरान शांति बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया। सिद्धारमैया ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, "कोई भी बंद बुलाया जा सकता है, हमें उस पर कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला है, लेकिन हम उन्हें परेशान नहीं करेंगे, उन्हें बंद बुलाने दीजिए।" हालाँकि, मुख्यमंत्री के बयान से एक सवाल भी उठता है कि, जब उन्होंने कहा है कि, वे प्रदर्शन नहीं रोकेंगे, बंद से हमें आपत्ति नहीं है, तो फिर 1000 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में क्यों लिया गया है ? उन्हें प्रदर्शन क्यों नहीं करने दिया जा रहा ?
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