ढाका: बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के शासन के बाद देश ने कट्टर इस्लाम की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं और अब न्यायपालिका भी इसमें शामिल हो गई है। बांग्लादेश के उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण सिफारिश की है, जिसमें इस्लाम और पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ निंदा करने पर मौत की सजा की बात कही गई है। न्यायाधीशों ने कहा कि ऐसे भड़काऊ बयान और कृत्य, जो किसी भी धर्म के अनुयायियों को आहत कर सकते हैं या डर और आतंक फैला सकते हैं, के लिए कड़ी सजा जैसे मौत की सजा या आजीवन कारावास की आवश्यकता है, और इस पर संसद को विचार करना चाहिए।
हालांकि, उच्च न्यायालय ने अपनी सिफारिश में यह जोड़ा कि यह सजा "किसी भी धर्म" से संबंधित हो सकती है, लेकिन यह बात किसी से छिपी नहीं है कि मुस्लिम धर्म के अनुयायी ही ऐसे मामलों में सड़कों पर उतरते हैं। बांग्लादेश में हाल के वर्षों में ईशनिंदा के आरोपों में हिंदू समुदाय को निशाना बनाए जाने की घटनाएँ बढ़ी हैं, और अगर यह कानून बनता है, तो इसका सबसे ज्यादा प्रभाव हिंदुओं पर पड़ सकता है। इसके साथ ही, युनुस सरकार के एक मंत्री, AFM खालिद हुसैन ने चटगाँव में एक मस्जिद के विकास का ऐलान किया है, जिसे सऊदी अरब के मदीना मस्जिद जैसा बनाने की योजना है।
यह मस्जिद मुग़ल वास्तुकला का एक उदाहरण होगी और इसे स्थानीय मुस्लिम समुदाय की जरूरतों के अनुसार एक भव्य रूप दिया जाएगा। इसके लिए ₹10 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है, और आवश्यकता पड़ने पर और भी राशि आवंटित की जाएगी। इस प्रकार, बांग्लादेश में इस्लामीकरण की गति में तेजी आई है, जिसमें सरकार और न्यायपालिका दोनों का योगदान है, और इसका प्रभाव देश के धार्मिक और सामाजिक ताने-बाने पर पड़ सकता है।
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