जिस पाकिस्तान ने किया लाखों बंगाली महिलाओं का रेप, उसीके स्वागत में बिछ गया बांग्लादेश..! जानते हैं क्यों..?

जिस पाकिस्तान ने किया लाखों बंगाली महिलाओं का रेप, उसीके स्वागत में बिछ गया बांग्लादेश..! जानते हैं क्यों..?
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ढाका: जिस पाकिस्तान की सेना ने 1971 में बांग्लादेश की महिलाओं और नागरिकों पर अकल्पनीय अत्याचार किए, आज वही पाकिस्तान बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है। इतिहास को अगर खंगाला जाए, तो पाकिस्तान ने बांग्लादेश के निर्माण के समय लगभग 10 लाख महिलाओं का बलात्कार किया और 30 लाख से अधिक बांग्लादेशियों की हत्या की। इसके विपरीत, भारत ने अपनी सेना भेजकर बांग्लादेशियों की जान बचाई और उन्हें एक नया देश दिया।  

लेकिन वर्तमान हालात देखें, तो बांग्लादेश का झुकाव उसी पाकिस्तान की ओर हो रहा है, जिसने उसे इतिहास का सबसे गहरा घाव दिया था। भारत, जिसने बांग्लादेश के लिए अपना खून-पसीना बहाया, अब उसकी नज़रों में एक शत्रु सा लगने लगा है। इसका कारण स्पष्ट है—मजहब। पाकिस्तान और बांग्लादेश, दोनों इस्लामी राष्ट्र हैं। वहीं, भारत, एक धर्मनिरपेक्ष देश होते हुए भी, इनके लिए "हिंदुओं का देश" माना जाता है। इस्लामी कट्टरपंथ की जड़ें इन मुल्कों में इतनी गहरी हैं कि 1971 के कृतघ्न इतिहास को भी दरकिनार कर दिया गया है। आज दोनों देश भारत में इस्लामी कट्टरता और आतंकवाद को बढ़ावा देने की साजिश रच रहे हैं।  

हालिया घटनाएं इसी साजिश को और मजबूत करती हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के उच्चाधिकारियों के बांग्लादेश दौरे ने भारत की चिंता बढ़ा दी है। बांग्लादेश के अस्तित्व में आने के 54 सालों में पहली बार ISI चीफ असीम मलिक ने बांग्लादेश का दौरा किया। वह दुबई के रास्ते ढाका पहुंचे, जहां उनका स्वागत बांग्लादेश आर्मी के वरिष्ठ अधिकारी मुहम्मद फैजुर रहमान ने किया। इससे पहले बांग्लादेशी सैन्य प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान के रावलपिंडी का दौरा कर चुका है, जहां उन्होंने पाक सेना, वायु सेना और नौसेना प्रमुखों से मुलाकात की।  

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ती नजदीकियां भारत के लिए चिंताजनक हैं। खासकर जब रिपोर्ट्स यह बताती हैं कि ISI बांग्लादेश की जमीन का इस्तेमाल भारत के पूर्वोत्तर में अस्थिरता फैलाने के लिए कर रही है। आईएसआई ने बांग्लादेश में उल्फा चीफ परेश बरुआ से भी मुलाकात की है, जो जेल में बंद हैं। इसके अलावा, बांग्लादेश के कशालॉन्ग क्षेत्र में उल्फा के कैंप एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं।  

शेख हसीना के शासनकाल में बांग्लादेश ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाया था। लेकिन अब कथित शांति के नोबल प्राइज विजेता मोहम्मद यूनुस की सरकार ने उल्फा चीफ परेश बरुआ की मौत की सजा को माफ कर 14 साल की सजा में बदल दिया है। इसके बाद से बांग्लादेश में उल्फा और अन्य आतंकवादी संगठनों की गतिविधियां तेज हो गई हैं। इस पर भी संदेह होता है कि आतंकियों को जेल से छोड़ने वाले मुहम्मद युसूफ को शांति का नोबेल प्राइज कैसे मिला होगा? क्या ये सब भी एक साजिश के तहत होता है? जो बेगुनाहों की लाशों पर चढ़कर खुद को महान बताते हैं, आज भी बांग्लादेश में हो रहे इस्लामी अत्याचारों पर उसी नोबेल विजेता मुहम्मद युसूफ का मुंह बंद है, जबकि वो हज़ारों किलोमीटर दूर फिलिस्तीन के लिए बोल रहे हैं, पर अपने देश में अल्पसंख्यकों के हालात नहीं देख रहे। कारण फिर वही है, मजहब।।? अगर कहीं कोई मुस्लिम प्रताड़ित होगा, तो पूरे 57 इस्लामी देशों के राष्ट्राध्यक्ष बैठकें करेंगे, लेकिन जब उन्ही 57 देशों में से किसी में अन्य समुदायों पर अत्याचार किया जाएगा, तो वे बड़ी बेशर्मी से चुप रहेंगे । इसका कारण सब जानते ही हैं ।

हालाँकि, भारत सरकार ने इन घटनाओं पर कड़ा रुख अपनाया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत क्षेत्र और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाली हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए है। भारत, जरूरत पड़ने पर, उचित कदम उठाने में पीछे नहीं हटेगा।  यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ते सैन्य और खुफिया संबंध भारत के लिए खतरे की घंटी हैं। दोनों देश भारत में इस्लामी कट्टरपंथ को बढ़ावा देने और अस्थिरता फैलाने की साजिश में लगे हुए हैं।  

भारत को अब न केवल अपनी सीमाओं पर सख्ती बढ़ानी होगी, बल्कि आंतरिक सुरक्षा को भी मजबूत करना होगा। इतिहास हमें सिखाता है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों के साथ सावधानी ही एकमात्र उपाय है। आज के दौर में यह सिर्फ एक संघर्ष नहीं, बल्कि अस्तित्व की लड़ाई बन चुकी है।  

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