ढाका: असम एनआरसी का मुद्दा सिर्फ भारत में ही नहीं बांग्लादेश के लिए भी गरमाया हुआ है. भारत सरकार की ओर से असमवासियों की एनआरसी जांच में 40 लाख लोग ऐसे निकले हैं, जिनके पास भारतीय होने का सबूत नहीं है. टीएमसी और विपक्ष जहाँ उन्हें भारतीय निवासी बता रही है, वहीं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इन 40 लाख लोगों को बांग्लादेशी घुसपैठिया बता रहे हैं.
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अब, जबकि इस मुद्दे में बांग्लादेश का नाम आ गया है, बांग्लादेश ने भी इस मसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. एक न्यूज़ चैनल पर जब बांग्लादेश के सूचना मंत्री हसन उल हक इनु से इस मुद्दे पर उनकी राय पूछी गई तो उन्होंने इसे भारत का आतंरिक मामला बताते हुए कहा कि 'यह भारत और असम का आंतरिक मामला है, बांग्लादेश का इस मामले से कुछ लेना-देना नहीं है और न ही ये लोग (40 लाख) हमारे हैं. हो सकता है कि वे असम के पड़ोसी राज्यों के हों इसलिए इस मामले में बांग्लादेश की भागीदारी का कोई मामला नहीं उठता.'
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उन्होंने कहा कि "ये सच है कि आज़ादी की लड़ाई के समय एक समझौते के तहत हमारे देश के लोगों ने भारत में शरण ली थी, लेकिन उन्हें वापिस बुला लिया गया था, अब कोई भी बांग्लादेशी नागरिक भारत में नहीं है. हसन उल हक इनु ने कहा कि बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था वृद्धि पर है इसलिए किसी बांग्लादेशी को भारत जाने की जरूरत नहीं है.
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