नई दिल्ली: लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोमवार (5 अगस्त) को विदेश मंत्री एस. जयशंकर से बांग्लादेश की स्थिति के बारे में चर्चा की। सोमवार को लोकसभा स्थगित होने के तुरंत बाद राहुल गांधी ने जयशंकर से अनौपचारिक बातचीत की। स्थिति को संवेदनशील और विकासशील बताते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने उम्मीद जताई कि सरकार मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में इस पर बयान देगी।
शिवसेना (UBT) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार बांग्लादेश में भारतीयों के हितों का ध्यान रखेगी। चतुर्वेदी ने कहा कि, "अस्थिरता का माहौल खेदजनक है। खास तौर पर इसलिए क्योंकि बांग्लादेश हमारे देश का लंबे समय से सहयोगी रहा है और उनकी विकास यात्रा सही दिशा में आगे बढ़ रही है। अगर वे अराजकता की ओर बढ़ रहे हैं, तो यह हमारे रणनीतिक हितों के लिए बुरा होगा। मुझे उम्मीद है कि हमारे प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री वहां भारतीयों के हितों का ध्यान रखेंगे और स्थिरता वापस लाने का प्रयास करेंगे।’’
वहीं, बीजू जनता दल (BJD) नेता सस्मित पात्रा ने कहा कि उनकी पार्टी को उम्मीद है कि भारत सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि भारत की चिंताओं की रक्षा की जाए। हालाँकि, वामपंथी दल हसीना सरकार की आलोचना कर रहे थे। CPIM नेता वी शिवदासन ने कहा कि, "बांग्लादेश में स्थिति मूल रूप से आर्थिक संकट का परिणाम है। बेरोजगारी बढ़ रही है और छात्र नौकरियों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन सरकार ने युवाओं को नौकरी नहीं दी है। इसके अलावा, सरकार की कार्यशैली की तानाशाही भी एक अन्य कारण है।"
CPIM नेता पी संतोष कुमार ने कहा कि उनका इस्तीफा "स्वागत योग्य" है। उन्होंने कहा कि, "बांग्लादेश में हुए चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं थे। चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली और हिंसा हुई। विपक्ष का यह आरोप सही था कि सत्ताधारी मोर्चे ने चुनावों में बाधा डाली। अब यह फिर से साबित हो गया है कि तानाशाही सत्ता में नहीं टिक सकती।" वामपंथी नेता ने कहा कि, "बेशक, वे थोड़े समय के लिए जीवित रह सकते हैं, मगर लोग उनका मुकाबला करेंगे और आपको जनता के सामने आत्मसमर्पण करना होगा। यह बांग्लादेश के छात्रों द्वारा सिद्ध किया गया है। इस तरह, यह एक स्वागत योग्य कदम है। लेकिन यह मजहबी कट्टरपंथियों को हस्तक्षेप करने का मौका नहीं देना चाहिए और यही बात पूरी दुनिया को सुनिश्चित करनी है।"
बता दें कि, भारत के वामपंथी शेख हसीना के इस्तीफे पर उसी तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं, जैसे बांग्लादेश में कट्टरपंथी। लेकिन माना जा रहा है कि शेख हसीना के बाद जो सरकार काम करेगी, वो उसे कट्टरपंथ के रास्ते पर ही ले जाएगी, जहाँ पहुंचकर पाकिस्तान बर्बाद हो रहा है। अभी तक भारत में हो रहे अधिकतर आतंकी हमलों में पाकिस्तान का नाम आया करता था, बांग्लादेश से हमें उतना खतरा नहीं था। क्योंकि, वहां एक ऐसी सरकार शासन कर रही थी, जो कट्टर इस्लामी नहीं थी, लेकिन अब वक्त बदल गया है। बांग्लादेश में बंग बंधु के नाम से मशहूर शेख मुजीबुर रहमान का वही कद है, जो भारत में महात्मा गांधी का है। लेकिन, अब कट्टरपंथी अब मुजीबुर रहमान की हर निशानी मिटा रहे हैं, उनकी मूर्तियां तोड़ रहे हैं। यही मुजीबुर रहमान थे, जिन्होंने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ आवाज़ उठाकर बांग्लादेशियों को बचाया था, और भारत की मदद लेकर अलग देश की स्थापना की थी। ये मुजीबुर रहमान, शेख हसीना के पिता थे। 1971 में बने बांग्लादेश में 1975 में सेना ने तख्तापलट किया, और मुजीबुर रहमान समेत उनके परिवार के 17 सदस्यों को मार डाला। शेख हसीना जान बचाकर भागीं और जर्मनी पहुंची। बांग्लादेश बिखरने लगा था, जिसके बाद 1981 में शेख हसीना ने फिर वहां पहुंचकर लोकतंत्र की आवाज़ बनीं। सेना द्वारा शासित देश में उन्हें लंबे समय तक नज़रबंद रखा गया। बांग्लादेश में 1991 के लोकसभा चुनाव में हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग बहुमत हासिल करने में नाकाम रही। उनकी प्रतिद्वंद्वी BNP की खालिदा जिया प्रधानमंत्री बनीं। पांच साल बाद, 1996 के आम चुनाव में शेख हसीना ने जीत दर्ज की, लेकिन 2001 में उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया गया था, 2008 के चुनाव में वह प्रचंड जीत के साथ फिर सत्ता में लौट आईं। तब से खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बीएनपी मुश्किल में फंसी हुई है। इस बीच 2004 में शेख हसीना को मारने की कोशिश भी हुई, एक ग्रेनेड विस्फोट हुआ, जिसमे वे बाल बाल बचीं। बीते 15 सालों से बांग्लादेश पर लगातार शासन कर रहीं शेख हसीना के खिलाफ कट्टरपंथी तो उबले हुए थे ही, आरक्षण वाले मुद्दे पर उन्हें मसाला भी मिल गया।
जिस जमात ए इस्लामी को बांग्लादेश सरकार ने आतंकी संगठन घोषित करते हुए प्रतिबंधित किया था, वही इस आंदोलन का सूत्रधार है। सूत्रों का ये भी कहना है कि इसमें पाकिस्तानी एजेंसी ISI का भी हाथ है। भारत के जो वामपंथी नेता शेख हसीना पर तानाशाह होने का आरोप लगा रहे हैं, वे चीन के शी जिनपिंग और उत्तर कोरिया के किम जोंग उन को तानाशाह कह सकते हैं ? उत्तर है 'नहीं'। क्योंकि, दोनों देशों में वामपंथ की ही सरकार है। शेख हसीना भारत समर्थक थीं, उनके शासन में बांग्लादेश अर्थव्यवस्था में पाकिस्तान से काफी आगे था। बांग्लादेश आज जहाँ 35 रैंक पर है, वहीं पाकिस्तान का रैंक 45 है। साथ ही उस पर पाकिस्तान जितना कर्ज भी नहीं है। अब खालिदा जिया के बंगलदेश के पीएम बनने के आसार हैं, जो कट्टरपंथी तो हैं ही, भारत की परम शत्रु और चीन की परम मित्र हैं। साथ ही खालिदा जिया, उस पाकिस्तानी कमांडर जियाउर रहमान की बेटी हैं, जिसने कश्मीर युद्ध में भारत के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। जियाउर रहमान बांग्लादेश के राष्ट्रपति भी रहे, और उनकी बेटी खालिदा वहां की पहली महिला प्रधानमंत्री। भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक के अनुसार, बांग्लादेश खालिदा जिया के कार्यकाल (2001-2005) के दौरान दुनिया का सबसे भ्रष्ट देश था। खालिदा जिया को कोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में 17 साल जेल की सजा सुनाई थी, लेकिन अब वे बाहर आ रहीं हैं और बांग्लादेश पर शासन करेंगी।
अब अगर भारत के वामपंथियों को ये बदलाव पसंद आ रहा है और वे इसे स्वागत योग्य मानते हैं, तो ये उनकी सोच पर निर्भर करता है। लेकिन निश्चित तौर पर भारत के लिए ये चिंता का विषय है, क्योंकि अब बांग्लादेश में आतंकवाद तेजी से पैर पसारेगा और उसका निशाना भारत ही होगा। सालों पहले बांग्लादेश जिससे लड़कर अलग हुआ था, अब उसी पाकिस्तान का मित्र बनने जा रहा है।
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