कोलकाता: पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ का एक और मामला सामने आया है। पुलिस ने कोलकाता के सियालदह रेलवे स्टेशन से तीन रोहिंग्या नागरिकों को गिरफ्तार किया है। ये तीनों बिना वैध दस्तावेजों के भारत में घुसे थे और दिल्ली या जम्मू-कश्मीर जाने की योजना बना रहे थे। गिरफ्तार किए गए लोगों में दो महिलाएँ और एक पुरुष शामिल हैं। पुलिस के अनुसार, महिलाएँ नाबालिग हैं। उनकी पहचान नूर फातिमा, सबू पानेकर, और अब्दुल रहमान के रूप में हुई है।
जाँच में पता चला है कि तीनों म्यांमार के रखाइन प्रांत के निवासी हैं, जहाँ से हिंसा के चलते वे बांग्लादेश के शरणार्थी शिविर में चले गए थे। उन्होंने बांग्लादेश में एक एजेंट को प्रति व्यक्ति 20,000 रुपये देकर भारत की सीमा पार की। पुलिस का कहना है कि तीनों शनिवार सुबह ट्रेन से सियालदह स्टेशन पहुँचे थे, जहाँ उनकी संदिग्ध गतिविधियों के कारण उन्हें रोका गया। दस्तावेज माँगने पर उनकी पहचान उजागर हुई। पुलिस अब यह जाँच कर रही है कि वे किन संपर्कों के जरिए भारत में घुसे और उनकी दिल्ली या जम्मू-कश्मीर में किससे मुलाकात होनी थी। साथ ही, जाँच अधिकारी महिला तस्करी और आतंकवाद के कोण से भी मामले की पड़ताल कर रहे हैं।
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) से मामले की जाँच कराने की माँग की है। उन्होंने कहा कि ये अवैध अप्रवासी बांग्लादेश के कॉक्स बाजार स्थित बालूखाली कैंप में रह रहे थे और अब भारत में घुसपैठ कर दिल्ली में बसने की योजना बना रहे थे। सुवेंदु अधिकारी ने पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश सीमा पर 600 किलोमीटर के क्षेत्र में बाड़ न होने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को ज़मीन उपलब्ध नहीं कराई, जिससे सीमा पर बाड़ लगाने का काम अटका हुआ है। उन्होंने कहा, "बंगाल दिल्ली जाने वाले घुसपैठियों का सुरक्षित मार्ग बन गया है। इस मामले में विदेशी मुद्रा और अवैध भुगतान की जाँच प्रवर्तन निदेशालय (ED) से कराई जानी चाहिए।"
सियालदह स्टेशन से गिरफ्तार रोहिंग्या नागरिकों के मामले ने न केवल राज्य की सीमा सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि अवैध घुसपैठ और मानव तस्करी को लेकर एक गंभीर बहस छेड़ दी है।