बांग्लादेश के पत्रकार ने ‘सुकन्या देवी रेप’ केस पर राहुल गाँधी को घेरा, जानिए मामला

बांग्लादेश के पत्रकार ने ‘सुकन्या देवी रेप’ केस पर राहुल गाँधी को घेरा, जानिए मामला
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बांग्लादेश के वरिष्ठ पत्रकार एवं बांग्लादेशी अखबार Blitz के संपादक सलाउद्दीन शोएब चौधरी ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट से ‘सुकन्या देवी’ मामले पर ट्वीट कर राहुल गांधी पर सवाल उठाए हैं। अपने ट्वीट में उन्होंने दावा किया है कि वह इस केस की तहकीकात कर रहे हैं तथा उन्हें कई सौ सोशल मीडिया पोस्ट प्राप्त हुए हैं, जो बताते हैं कि सुकन्या देवी के साथ हुए कथित बलात्कार में राहुल गांधी की संलिप्तता थी।

अपने लंबे पोस्ट में चौधरी ने सुकन्या देवी से जुड़ी कई बातें साझा की हैं। इससे पहले भी वह राहुल गांधी से जुड़े कई आरोपों को अपने एक्स अकाउंट पर साझा कर चुके हैं, जैसे कि राहुल गांधी की किसी कैरिबियन महिला से शादी तथा उनके दो बच्चे होने का दावा। चौधरी ने कुछ तस्वीरें भी साझा की हैं तथा उनका कहना है कि वह राहुल विंसी उर्फ राहुल गांधी की असली सच्चाई का खुलासा करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में राहुल गांधी पर एक रिपोर्ट भी पेश की थी, जिसका शीर्षक था- "राहुल विंसी एक्सपोज्ड: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ पॉवर, सीक्रेट्स एंड कंट्रोवर्सी"। तत्पश्चात, चौधरी का दावा है कि उन्हें जान से मारने की धमकियां मिलीं। उन्होंने पोस्ट में राहुल गांधी की कैंब्रिज की डिग्री पर भी सवाल उठाए और अपने नवीनतम ट्वीट में उन्होंने सुकन्या देवी का मामला उठाया है।

सुकन्या देवी मामला और राहुल गांधी का इससे संबंध
सुकन्या देवी मामला उस आरोप से जुड़ा है, जिसमें राहुल गांधी तथा उनके दोस्तों पर उत्तर प्रदेश के एक स्थानीय कांग्रेस नेता की बेटी सुकन्या देवी के साथ 2006 में अमेठी में बलात्कार करने का आरोप लगाया गया था। आरम्भ में इस आरोप को कुछ ब्लॉगर्स ने उठाया था, जिसमें कहा गया था कि घटना की शिकायत करने के लिए सोनिया गांधी से मिलने के बाद सुकन्या और उसके माता-पिता गायब हो गए थे।

आरोप था कि सुकन्या, बलराम सिंह नामक कांग्रेस कार्यकर्ता की बेटी थी तथा वह राहुल गांधी की बड़ी प्रशंसक थी। दावा किया गया कि जब राहुल गांधी अमेठी के एक गेस्ट हाउस में अपने दोस्तों के साथ पार्टी कर रहे थे, तो सुकन्या उनसे मिलने वहां गईं, जहां राहुल गांधी और उनके 7 दोस्तों ने कथित तौर पर उसका बलात्कार किया। इनमें से 2 लोग ब्रिटेन के थे तथा 2 अन्य इटली के थे। आरोपों के अनुसार, सुकन्या किसी प्रकार इस घटना के बाद भाग निकलीं तथा कई लोगों से मदद मांगी, लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया। आरोपों में यह भी कहा गया कि सुकन्या अपने पिता बलराम सिंह एवं मां सुमित्रा देवी के साथ सोनिया गांधी और मानवाधिकार आयोग से मिलीं, मगर इसके बाद से उनका पूरा परिवार लापता हो गया। आरोप था कि ध्रुपद नामक वीडियोग्राफर और एक न्यूज चैनल का एक कैमरामैन, जिन्होंने सुकन्या का बयान रिकॉर्ड किया था, वे भी लापता हो गए।

हालांकि, उस वक़्त मेनस्ट्रीम मीडिया ने इन आरोपों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया था तथा सिर्फ कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे उठाया। किन्तु 2011 में जब सपा विधायक किशोर समरते ने इस मुद्दे को उठाया, तो मीडिया को इसकी रिपोर्ट करने के लिए मजबूर होना पड़ा। समरते ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर की थी, जिसमें कथित बलात्कार तथा सुकन्या के माता-पिता के गायब होने की जांच की मांग की गई थी। विधायक समरते ने कहा था कि जब वह गांव गए, तो उन्होंने पाया कि सुकन्या का परिवार वहां नहीं था और पड़ोसी भी उनके दिल्ली जाने के बाद उनकी अचानक से हुई गुमशुदगी से अनजान थे।

किन्तु पुलिस द्वारा की गई जांच में आरोपों में कोई सच्चाई नहीं पाई गई। तहकीकात में यह सामने आया कि समरते द्वारा बताए गए परिवार का पता मौजूद नहीं है। इसके अतिरिक्त, गजेंद्र पाल नामक एक अन्य व्यक्ति ने बलराम और सुकन्या के दोस्त के रूप में एक याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि समरते ने राजनीति से प्रेरित होकर झूठी याचिका दायर की थी। तहकीकात में यह भी सामने आया कि बलराम सिंह ने अपना घर बेच दिया था तथा दूसरी जगह चले गए थे। उनकी पत्नी का नाम सुमित्रा देवी नहीं, बल्कि सुशीला देवी था, और उनकी सबसे बड़ी बेटी का नाम कीर्ति सिंह था। उन्होंने बताया था कि मीडिया में दावा करने वाले कुछ लोग उनके घर आए थे और उन्हें सुकन्या देवी की तस्वीर दिखाते हुए पूछा कि क्या वह उनकी बेटी है। उन्होंने कहा था कि यह एक अलग महिला थी, न कि उनकी बेटी।

तत्पश्चात, याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि कीर्ति देवी एक अलग महिला थी, तथा उसे इस केस को कमजोर करने के लिए इसमें सम्मिलित किया गया था। किन्तु हाई कोर्ट ने दोनों याचिकाकर्ताओं, किशोर समरते और गजेंद्र पाल पर जुर्माना लगाया था। किशोर पर झूठी याचिका दायर करने के लिए 50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया था, जिसमें से 25 लाख कीर्ति सिंह को, 20 लाख राहुल गांधी को, और 5 लाख यूपी के डीजीपी को दिए जाने थे। गजेंद्र पाल पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया था, क्योंकि उनके पास मामले में उस परिवार से कोई संबंध नहीं था। कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि परिवार ने कोई शिकायत दर्ज नहीं की थी, तथा गजेंद्र पाल को उस परिवार को अदालत में घसीटने के लिए फटकार लगाई थी।

किशोर समरते ने इसके पश्चात् सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, किन्तु 2012 में शीर्ष अदालत ने भी आरोपों को खारिज कर दिया तथा समरते पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया। साथ ही, उच्च न्यायालय के जुर्माने को 50 लाख रुपए से घटाकर 10 लाख रुपए कर दिया गया। कोर्ट ने उल्लेख किया था कि "कोई भी साक्ष्य नहीं है" यह दिखाने के लिए कि कथित घटना 2006 में हुई थी। इसके अतिरिक्त, समरते ने सुनवाई के चलते यू-टर्न लेते हुए कहा था कि उन्हें इस मामले की कोई व्यक्तिगत जानकारी नहीं है और उन्होंने सपा नेतृत्व के निर्देश पर यह याचिका दायर की थी।

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