नई दिल्लीः एक बार फिर पूरी दुनिया मंदी के चपेट में आ सकती है। यह मंदी 2008 की मंदी से भी बड़ी हो सकती है। इसकी आहट आनी शुरू हो गई है। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने इस बात का अपनी एक रिपोर्ट में उल्लेख किया है। बैंक ऑफ अमेरिका ने विश्व के कई बड़े फंड मैनेजरर्स के बीच एक सर्वे दो से आठ अगस्त के बीच किया था। इस सर्वे में 34 फीसदी फंड मैनेजर्स ने माना है कि अगले एक साल में एक बड़ी मंदी आ सकती है, जो कि अक्तूबर 2011 के बाद सबसे बड़ी होगी।
इस सर्वे में 224 फंड मैनेजर्स ने भाग लिया था। सर्वे में कहा गया है कि बड़ी कंपनियां अभी भी अपनी बैलेंस शीट को सुधारने का प्रयास नहीं कर रही हैं, जिसके चलते फिलहाल ऐसा हो सकता है। बड़ी कंपनियों को अपनी बैलेंस शीट सुधारने पर ध्यान देना चाहिए, न कि बायबैक और कैपेक्स बढ़ाने पर। अमेरिका की चीन, ईरान और भारत के साथ व्यापार युद्ध की आशंका गहराती जा रही है। ग्लोबल अर्थव्यवस्था के लिए यह बड़ी चिंता की बात है। यदि ट्रेड वार आगे भी जारी रहता है तो फिर इसकी चपेट में कई देश आ सकते हैं।
एक समाचार एजेंसी ने अपनी एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसके मुताबिक एशिया के तमाम देशों में इस वक्त अर्थव्यवस्था की रफ्तार अच्छी नहीं है। सिंगापुर, चीन, दक्षिण कोरिया जैसे देशों में विकास दर काफी नीचे चली गई है। भारत और चीन जैसे देशों का फिलहाल अमेरिका से ट्रेड वार चल रहा है। इससे उद्योगों पर काफी असर देखने को मिल रहा है।
बीते तीन महीनों में सिंगापुर की विकास दर केवल 3.4 फीसदी रह गई, जो कि 2012 के बाद के सबसे निचले स्तर पर है। वहीं चीन का आयात भी बीते साल के मुकाबले 1.3 फीसदी घट गया है। निर्यात डाटा में भी 7.3 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। वहीं दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था भी इस साल के पहली तिमाही में काफी घट गई थी। इन दिनों काफी संख्या में नौकरियां खत्म हो रही है जो इस ओर संकेत भी दे रही है।
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