पुणे: देश में मौसम भले ही बदल गया है मगर बैंक में घोटालो और धांधली का सीजन मानसून के सीजन के साथ भी जारी है. अब पुणे पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने बुधवार को कथित रूप से डीएसके डिवेलपर्स लिमिटेड को बिना उचित प्रक्रिया और आरबीआई के नियमों को अनदेखा कर करोड़ों रुपये लोन देने के मामले में बैंक ऑफ महाराष्ट्र के एमडी और सीईओ रवींद्र मराठे, कार्यकारी निदेशक राजेंद्र गुप्ता और दो अन्य बैंक अधिकारियों को हिरासत में लिया है. पुलिस के कहे अनुसार मामला 2043 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का है. जांच के दायरे में डिवेलपर डीएस कुलकर्णी उर्फ डीएसके, ग्रुप की कंपनिया, बैंक के पूर्व एमडी और सीईओ सुशील मुहनोत, जोनल मैनेजर नित्यानंद देशपांडे और डीएसकेडीएल के चीफ इंजिनियर और वाइस प्रेजिडेंट राजीव नेवास्कर के नाम शामिल है.
मामले पर बात करते हुए जांच अधिकारी और आर्थिक अपराध शाखा में सहायक पुलिस आयुक्त नीलेश मोरे ने कहा, 'इन बैंक अधिकारियों ने डीएसकेडीएल के साथ सांठगांठ किया ताकि लोन के नाम पर उसे पहले धन दिया जाए और बाद में उसे बेइमानी करके निकाल लिया जाए.' आधिकारिक बयान में बैंक ने कहा कि उसका डीएसकेडीएल के पास कुल 94 करोड़ 52 लाख रुपये बाकी है. बैंक ने कहा कि इस पैसे को वापस पाने के लिए उसने प्रक्रिया शुरू कर दी है और कुछ संपत्तियों की नीलामी प्रक्रिया शुरू हो गई है. उसने कहा कि बैंक ने डीएसकेडीएल और प्रमोटर्स को विलफुल डिफाल्टर घोषित कर दिया है. विशेष लोक अभियोजक प्रवीण चव्हाण ने कहा, 'आर्थिक शाखा पांच अन्य राष्ट्रीयकृत बैंकों के अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर रहा है जो वर्ष 2016 में डीएसकेडीएल के ड्रीम सिटी मेगा हाउसिंग प्रॉजेक्ट को 600 करोड़ रुपये लोन देने वाले 6 सदस्यीय संघ का हिस्सा थे'.
बुधवार को मराठे, गुप्ता, घाटपांडे और नेवास्कर को जज ने 27 जून तक पुलिस हिरासत में यह कहते हुए भेजा है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच अधिकारियों को पूछताछ के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए.
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