सरकार कर रही आईबीसी में परिवर्तन, दिवालिया कम्पनी को मुकदमे से छूट

सरकार कर रही आईबीसी में परिवर्तन, दिवालिया कम्पनी को मुकदमे से छूट
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कॉरपोरेट समाधान प्रक्रिया को आकर्षक व आसान बनाने के लिए सरकार दिवालिया एवं ऋणशोधन अक्षमता कानून (आईबीसी) में परिवर्तन की तैयारी कर रही है। इसके तहत नीलामी में संकटग्रस्त संपत्ति खरीदने वाली कंपनी को उसके पूर्व प्रवर्तकों पर चल रहे वित्तीय अपराधों से छूट मिल सकती है। मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यह परिवर्तन  बोली लगाने वाली कंपनियों के लिए दिवालिया समाधान प्रक्रिया को और आकर्षक बनाएगा। साथ ही उनमें संकटग्रस्त संपत्ति को खरीदने के लिए भरोसा पैदा होगा। सरकार संसद के चालू शीत सत्र में ही आईबीसी 2016 के प्रावधानों में संशोधन का विधेयक पेश कर सकती है। बताया जा रहा है कि आईबीसी के जरिये नीलाम हो रही संपत्तियों के लिए बोली लगाने वाली कई कंपनियों ने पूर्व प्रवर्तकों पर चल रहे मामलों में खुद के फंसने को लेकर चिंताएं जताई थीं। इस कारण कई कंपनियां नीलामी प्रक्रिया से हाथ खींचने का भी मन बनाने लगती हैं और कॉरपोरेट समाधान प्रक्रिया की सफलता बाधित होती है।
 
नहीं दोहराएंगे भूषण स्टील जैसे मामले
आईबीसी से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि समाधान प्रक्रिया से जुड़े अधिकांश मामलों की जांच जारी है। हम एक ऐसी व्यवस्था पर काम कर रहे हैं, जिसके जरिये पूर्व प्रबंधन के कारण कानूनी प्रक्रिया में फंसने वाली कंपनी के खरीदार को मुकदमे से छूट दी जा सकती है, ताकि भूषण पावर एंड स्टील (बीपीएसएल) जैसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो। बताया जा रहा है कि आईबीसी के जरिये नीलाम हुई बीपीएसएल का अधिग्रहण जेएसडब्ल्यू स्टील करने वाली थी। इससे पहले ही बीते महीने प्रवर्तन निदेशालय ने ओडिशा स्थित कंपनी के 4,000 करोड़ के प्लांट और मशीनरी को जब्त कर लिया और समाधान प्रक्रिया में देरी हुई। फिलहाल, एनसीएलएटी के दखल के बाद कॉरपोरेट मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि आईबीसी प्रक्रिया जारी रहने के दौरान कोई भी सरकारी एजेंसी संपत्तियां जब्त नहीं कर सकती है|

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से और मजबूत हुआ दिवालिया कानून : साहू
ऋणशोधन एवं दिवालिया संहिता बोर्ड (आईबीबीआई) के प्रमुख एमएस साहू ने रविवार को कहा कि एस्सार स्टील मामले में शीर्ष अदालत के फैसले से यह कानून और मजबूत हुआ है। इससे उन पक्षों पर लगाम लगेगी जो समाधान प्रक्रिया को बाधित करने का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने न सिर्फ एस्सार स्टील से 42 हजार करोड़ रुपये की वसूली का रास्ता साफ कर दिया, बल्कि समाधान पेशेवर, समाधान आवेदनकर्ता, कर्जदाताओं की समिति, न्यायाधिकरण और अपीलीय न्यायाधिकरण की भूमिका को भी साफ़ कर दिया है।

 

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