'कांग्रेस के भ्रष्टाचार और गलत नीतियों के कारण बढ़ा बैंकों का NPA..', रघुराम राजन के विचार कैसे बदले?

'कांग्रेस के भ्रष्टाचार और गलत नीतियों के कारण बढ़ा बैंकों का NPA..', रघुराम राजन के विचार कैसे बदले?
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नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, जो कभी कांग्रेस के बेहद करीबी माने जाते थे, अब मोदी सरकार की नीतियों की तारीफ कर रहे हैं। ये बदलाव तब और चौंकाने वाला हो जाता है, जब यह ध्यान दिया जाए कि राजन ने पहले राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया था। हालांकि, अब राजन के बदले हुए विचारों की वजह उनकी आर्थिक भविष्यवाणियों के गलत साबित होने को माना जा रहा है।

 

दरअसल, रघुराम राजन ने राहुल गांधी के साथ बातचीत में दावा किया था कि भारत की विकास दर 5% तक भी नहीं पहुंचेगी, जबकि उस समय भारत ने 7.6% की विकास दर दर्ज की थी। संभवतः इसी कारण अब उनका झुकाव कांग्रेस से हटकर मोदी सरकार की ओर हो गया है। हाल ही में दिए गए एक इंटरव्यू में राजन ने बताया कि कैसे कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार और गलत नीतियों ने बैंकों में बैड लोन यानी NPA (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) का अंबार लगा दिया। राजन ने बताया कि 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी के बाद बैंक बिना पूरी जांच-पड़ताल के लोन बांट रहे थे। इन लोन की रिकवरी की संभावना बेहद कम थी, जिससे बैंकों की बैलेंस शीट पर भारी असर पड़ा।

राजन ने कहा कि उस समय कांग्रेस सरकार की नीतियों और भ्रष्टाचार ने कई परियोजनाओं को रोक दिया। जमीन अधिग्रहण, पर्यावरणीय मंजूरी और प्रशासनिक देरी की वजह से प्रोजेक्ट अटक गए और कर्ज NPA में तब्दील हो गए। 2013 में जब रघुराम राजन RBI के गवर्नर बने, तो उन्होंने इस समस्या का हल निकालना शुरू किया। उन्होंने कहा कि तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस समस्या को हल करने में पूरा सहयोग दिया। राजन ने NPA की पहचान और बैंकों की बैलेंस शीट की सफाई के लिए बड़े कदम उठाए।

राजन ने बताया कि उनके कार्यकाल से पहले बैंकों को NPA घोषित करने से बचने के लिए मोरेटोरियम (ऋण स्थगन) का सहारा दिया गया था। इससे बैंकों ने खराब लोन को छिपाए रखा, लेकिन 2014 में राजन ने इस नीति को खत्म कर दिया और बैंकों के बही-खातों की समीक्षा शुरू की। इस प्रक्रिया में बड़ी संख्या में ऐसे लोन सामने आए, जिन्हें पहले NPA नहीं माना गया था।

राजन ने कहा कि समस्या को हल करने के लिए दो जरूरी कदम उठाए गए—पहला, RBI द्वारा बैड लोन की पहचान, और दूसरा, सरकार द्वारा बैंकों को पुनर्पूंजीकरण (Recapitalization) के जरिए मजबूत बनाना। तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस दिशा में जरूरी कदम उठाने का पूरा समर्थन दिया। राजन ने यह भी कहा कि यदि उस समय बैड लोन को नहीं हटाया जाता, तो बैंक नए लोन देने में सक्षम नहीं रहते और भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान होता। उनकी पहल से बैंकों की बैलेंस शीट मजबूत हुई और वे अच्छे लोन देने की स्थिति में आ गए।

रघुराम राजन का ये बयान मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की प्रभावशीलता को उजागर करता है। इससे पहले वे केंद्र सरकार की आलोचना करते रहे थे, लेकिन अब उनके बदले हुए विचार इस बात की ओर इशारा करते हैं कि वे कांग्रेस की गलत नीतियों और भ्रष्टाचार को स्वीकार करने लगे हैं। उनका यह बदलाव भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति उनके नए दृष्टिकोण को दर्शाता है।

 

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