नई दिल्ली: कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन की इकॉनमी को करीब 120 अरब डॉलर की कीमत चुकानी होगी। इतना ही नहीं, इस वजह से भारतीय इकॉनमी की विकास दर भी घट जाएगी। यह अनुमान बार्कलेज बैंक ने अपनी एक रिसर्च रिपोर्ट में जताया है। पीएम नरेंद्र मोदी के मंगलवार शाम को दिए गए देश के नाम सम्बोधन के बाद तैयार इस रिपोर्ट में बताया गया है कि बदली परिस्थितियों को देखते हुए कैलेंडर वर्ष 2020 के दौरान भारतीय इकॉनमी की विकास दर महज 2.5 फीसदी रह जाएगी जबकि पहले का अनुमान 4.5 फीसदी का था।
इसके साथ ही वित्त वर्ष 2020-21 के लिए विकास दर के पूर्वानुमान को 5.2 फीसदी से घटा कर 3.5 फीसदी कर दिया गया है। वर्तमान वर्ष में भले ही विकास दर घटे, किन्तु अगले साल इसमें वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। बार्कलेज द्वारा कैलेंडर वर्ष 2021 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 8.2 फीसदी की वृद्धि होने का अनुमान जताया गया है जबकि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 8.0 फीसदी का अनुमान लगाया गया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि लॉकडाउन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को लगभग 120 अबर डॉलर का नुकसान होगा, जो कि जीडीपी का चार फीसदी है। इनमें से 90 अरब डॉलर का नुकसान को लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने के कारण होगा। जाहिर है कि इसका सीधा प्रभाव जीडीपी की विकास दर पर भी पड़ेगा।
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