छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से लड़ते जवानों को इन दिनों दूसरे आतंक का सामना करना पद रहा है. माओवादियों का गढ़ माने जाने वाले दक्षिण बस्तर में जवान इन दिनों मच्छरों से परेशान हैं. जवानों के लिए नक्सलियों से ज़्यादा खतरनाक मच्छर साबित हो रहे हैं. गौरतलब है कि मच्छरों के काटने से 15 जनवरी को डीआरजी के एएसआई भीष्म की मौत हो गई थी. इसके अलावा दो दर्जन से अधिक मलेरिया से पीड़ित सीआरपीएफ़, एसटीएफ, डीआरजी एवं जिला पुलिस बल के जवान दंतेवाड़ा जिले के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं.
नक्सलियों से लड़ते हुए अपनी जान दांव पर लगाने वाले जवानों के लिए सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गई है. अरनपुर-जगरगुंडा सड़क निर्माण के लिए कोंडा सावली में सीआरपीएफ़ की कंपनी तैनात की गई है. जिसके लिए 500 से अधिक जवानो को जंगलो में सर्चिंग पर भेजा गया था. एक हफ्ते चली सर्चिंग के दौरान जवानों के लिए पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं थी, जिस कारण उन्हें गंदे नालों का दूषित पानी पीना पड़ा.
यही नहीं जिला अस्पताल में इलाज के दौरान किसी भी जांच के लिए 2 से 3 दिनों तक अस्पताल के चक्कर लगाना पड़ते हैं. मच्छरों के आतंक के कारण जवान मलेरिया का शिकार हो रहे हैं. दंतेवाड़ा जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. एमके नायक ने भी कहा है कि यहाँ जवान मलेरिया के शिकार हो रहे हैं.
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