माघ मास में स्नान का है काफी महत्व, जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा

माघ मास में स्नान का है काफी महत्व, जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा
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माघ के महीने का संबंध प्रभु श्री कृष्ण से होता है. माघ का महीना पहले माध का महीना था, जो बाद में माघ हो गया. 'माध' शब्द का संबंध श्रीकृष्ण के एक स्वरूप माधव से है, इस माह को बेहद पवित्र माना जाता है. इस महीने में कई सारे धार्मिक पर्व आते हैं, साथ ही प्रकृति भी अनुकूल होने लगती है. इसी महीने में संगम पर कल्पवास भी किया जाता है, जिससे मनुष्य शरीर और आत्मा से नवीन हो जाता है. इस बार माघ का महीना 26 जनवरी यानी से आरम्भ हो रहा है तथा 24 फरवरी को इस महीने का समापन होगा. इस मास में प्रभु श्री विष्णु एवं माता लक्ष्मी की भी पूजा का विधान है. हिंदू पंचांग के मुताबिक, माघ मास 11 वां महीना होता है. 

माघ मास का महत्व:-
माघ का महीना पवित्र नदी में स्नान, दान आदि के लिए बेहद शुभ माना गया है. माघ महीने में ढेर सारे धार्मिक पर्व आते हैं साथ ही प्रकृति भी अनुकूल होने लगती है. इस महीने में संगम पर कल्पवास भी किया जाता है जिससे व्यक्ति शरीर और आत्मा से नया हो जाता है.

पौराणिक कथा के मुताबिक, माघ मास में गौतम ऋषि ने इन्द्र देव को श्राप दिया था. जब इन्द्र देव को अपनी गलती का एहसास हुआ तो उन्होने गौतम ऋषि से क्षमा याचना की. गौतम ऋषि ने इन्द्र देव को माघ मास में गंगा स्नान कर प्रायश्चित करने को बोला. तब इन्द्र देव ने माघ मास में गंगा स्नान किया था, जिसके फलस्वरूप इन्द्र देव को श्राप से मुक्ति मिली थी. इसलिए इस महीनें में माघी पूर्णिमा व माघी अमावस्या के दिन का स्नान का खास महत्व है. 

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