एकादशी पर पूजा के दौरान जरूर करें इन नियमों का पालन
एकादशी पर पूजा के दौरान जरूर करें इन नियमों का पालन
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आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि पर योगिनी एकादशी का व्रत किया जाएगा. प्रभु श्रीकृष्ण से स्वयं युधिष्ठिर को योगिनी एकादशी के महत्व के बारे में बताया था. ऐसी मान्यता है कि जो इस व्रत को करता है, उसे पृथ्वी पर सभी प्रकार के सुख मिलते हैं. मनुष्य जन्म-मरण के बंधन से छुटकारा पाता है. शास्त्रों के मुताबिक, एकादशी व्रत उदयातिथि से मान्य होता है ऐसे में इस वर्ष  योगिनी एकादशी 2 जुलाई 2024 को मनाई जाएगी. वही इस दिन पूजा करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन बेहद जरुरी है, आइये आपको बताते है नियम...

एकादशी पूजा के नियम
योगिनी एकादशी तिथि में प्रभु श्री विष्णु की विधि विधान के साथ पूजा आराधना की जाती है. एकादशी तिथि के 1 दिन पहले सात्विक भोजन कर लेना चाहिए. नाखून दाढ़ी बाल आदि एकादशी के 1 दिन पहले ही कटवा लें. अगले दिन यानी एकादशी तिथि के दिन चावल का सेवन भूल कर भी नहीं करना चाहिए तथा व्रत रखकर प्रभु श्री विष्णु की पूजा आराधना करें. एकादशी तिथि के दिन रात्रि जागरण जरूर करें. इससे लक्ष्मी नारायण प्रसन्न होते हैं. घर में सुख समृद्धि की वृद्धि होती है. इसके अतिरिक्त घर में खुशहाली बनी रहेगी और जीवन में आने वाले कष्टों से छुटकारा प्राप्त होगा.

एकादशी की आरती
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।
 
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।
 
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।
 
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।
 
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।
 
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।
 
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।
 
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।
 
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।
 
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।
 
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।
 
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।
 
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।
 
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।
 
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।

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