इस कारण मोबाइल और इलेक्ट्रिक व्हीकल में लगती है आग! सामने आई एक ही वजह

इस कारण मोबाइल और इलेक्ट्रिक व्हीकल में लगती है आग! सामने आई एक ही वजह
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नई दिल्ली: एक ओर EV मतलब इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा दिए जाने की बात बोली जा रही है तो दूसरी ओर इलेक्ट्रिक व्हीकल में आग लगने की घटनाओं ने लोगों को चौंका दिया है। बीते कुछ वक़्त से भारत में निरंतर इलेक्ट्रिक व्हीकल के जलने की खबर आ रही है। चिंता करने वाली बात ये है कि दो व्यक्तियों की इससे मौत भी हो गई है। जिन इलेक्ट्रिक व्हीकल में आग लगी है उनमे Ola के इलेक्ट्रिक स्कूटर्स तथा Okinawa के इलेक्ट्रिक स्कूटर्स सम्मिलित हैं। सरकार ने तहकीकात के आदेश दे दिए हैं। मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे ने Ola तथा Okinawa इलेक्ट्रिक स्कूटर्स में आग लगने के पश्चात् कदम उठाने की बात की है।

वही स्मार्टफोन्स फटने की घटनाएं बहुत वक़्त से देखने को मिल रही हैं। ऐपल एवं सैमसंग समेत तकरीबन सभी छोटी बड़ी कंपनियों के स्मार्टफोन्स वक़्त वक़्त पर फटते हैं। क्या स्मार्टफोन फटने तथा इलेक्ट्रिक व्हीकल जलने में कोई कनेक्शन है? कनेक्शन ये है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल तथा स्मार्टफोन दोनों में ही Lithium-ion बैटरी का उपयोग किया जाता है। सामान्य रूप से Lithium-ion बैटरी दो कारणों से फटती हैं या जलती हैं। लिथियम आयन बैटरी के काम करने का जो तरीका होता है उससे फटने या जलने का संकट एक हद तक बना रहता है। 

पहला तो ये है कि बैटरी बनाने में ही दिक्कत है जिसे मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट कह सकते हैं या फिर बैटरी जलने के पीछे कोई एक्स्टर्नल कारण है, मतलब किसी प्रकार से बैटरी को मिसहैंडल किया गया हो। लिथियम आयन बैटरी चाहे वो स्मार्टफोन में लगी हो या इलेक्ट्रिक व्हीकल में। इनके काम करने का तरीका मोटे तौर पर एक जैसा ही है। इनमें मुख्य तौर पर इलेक्टोड्स, इलेक्ट्रोलाइट और सेपरेटर लगे होते हैं। इन तीनों के काम भी अलग अलग हैं। इलेक्ट्रोड्स लिथियम को स्टोर करने का काम करता है, जबकि इलेक्ट्रोलाइट लिथियम आयन को इलेक्ट्रोड्स में ले जाता है। सेपरेटर पॉजिटिव इलेक्ट्रोड्स तथा नेगेटिव इलेक्ट्रोड्स को एक दूसरे से अलग करता रहता है मतलब इन दोनों का सम्पर्क ना हो पाए उसे सुनिश्चित करता है। अधिकांश बार ऐसा पाया गया है कि लिथियम आयन बैटरियां गलत प्रकार से बनाए जाने के कारण फटती हैं। इसके अतिरिक्त यदि सॉफ्टवेयर के साथ इन्हें ठीक से सिंक नहीं किया गया तो भी ऐसा होता है, क्योंकि सॉफ्टवेयर के वर्किंग में यदि कोई समस्या हुई तो इस कारण भी बैटरी रिस्क पर होती है। इलेक्ट्रिक व्हीकल में जो लिथियम आयन बैटरी इस्तेमाल की जाती है उनमे ऑर्गेनिक लिक्विड इलेक्ट्रोलाइट्स का उपयोग किया जाता है। इसकी वीकनेस ये होती है कि हाई टेंप्रेचर पर इनमें जलने का संकट रहता है। भारत ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों में भी इलेक्ट्रिक व्हीकल में आग लगने की घटनाएं हुई हैं। कई बड़ी बैटरी मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों पर भी ये इल्जाम लगे हैं कि उन्होंने खराब बटरी की सप्लाई की जिनके कारण इलेक्ट्रिक व्हीकल में आग लग सकती थी। 

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