'कलमा पढ़कर मुस्लिम बन जाओ..', पाकिस्तान के हिन्दू सांसद पर धर्मांतरण का दबाव, UN में भी गूंजा था मुद्दा

'कलमा पढ़कर मुस्लिम बन जाओ..', पाकिस्तान के हिन्दू सांसद पर धर्मांतरण का दबाव, UN में भी गूंजा था मुद्दा
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इस्लामाबाद: 1947 में भारत से अलग होकर इस्लामी राष्ट्र बने पाकिस्तान में आज अल्पसंख्यकों की क्या हालत है, इसकी हकीकत किसी से छिपी नहीं है। पड़ोसी मुल्क में अल्पसंख्यक लड़कियों के अपहरण, जबरन धर्मान्तरण और बलपूर्वक निकाह जैसी घटनाएं आम हो गईं हैं और अधिकतर इन मामलों में पुलिस भी आरोपियों के साथ ही खड़ी नज़र आती है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर किस तरह मुस्लिम बनने का दबाव डाला जाता है, इसकी एक बानगी पड़ोसी मुल्क से सामने आई है। दरअसल, पाकिस्तान के हिंदू सांसद दानिश कुमार ने संसद में कहा है कि साथी सांसद उन पर इस्लाम अपनाकर मुस्लिम बनने का दबाव डालते हैं। डेनिश ने यह भी कहा कि, 'जो लोग मुझे मुस्लिम बनने के लिए कहते हैं, वे पहले मुनाफाखोरों को मुस्लिम बनाएँ, इसके बाद मुझे उपदेश दें।'

 

रिपोर्ट के अनुसार, दानिश कुमार ने यह बात गुरुवार (6 अप्रैल) को पाकिस्तानी संसद में कही हैं। दरअसल, दानिश कुमार पाकिस्तान में फैले भारी खाद्य संकट और महँगाई को लेकर संसद के उच्च सदन में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान में महँगाई बढ़ रही है। रमजान से पहले केले 150 रुपए दर्जन थे। अब यह 400-450 रुपए हो गए हैं। इसी प्रकार अन्य चीजों के भाव भी बढ़ गए हैं। दानिश कुमार ने कहा कि, 'मैं गैर-मुस्लिम हूँ, मगर मुझे शर्म आ रही है कि यहाँ कैसे लोग हैं जो अपने मुस्लिम भाइयों का ही खून चूस रहे हैं।' 

दानिश कुमार ने कहा कि, 'सर मैं आपको बताता हूँ, यहाँ पर मेरे दोस्त हैं जो मुझसे कहते हैं कि दानिश कुमार कलमा पढ़ लो, मुस्लिम बन जाओ। पहले आप उन शैतानों को, जो मुनाफाखोर हैं, उन्हें तो मुस्लिम बनाएँ। फिर दानिश कुमार को उपदेश दें। मैं चाहता हूँ कि ये लोग वादा करें जब तक ये उन्हें मुस्लिम नहीं बनाते, तब तक मुझे उपदेश नहीं देंगे।' बता दें कि, दानिश कुमार पाकिस्तानी संसद के उच्च सदन सीनेट के सदस्य हैं। वह अल्पसंख्यकों के मुद्दों को लेकर संसद से सड़क तक उठाते रहे हैं। वर्ष 2018 में बलूचिस्तान अवामी पार्टी ने उन्हें अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित सीट से चुनाव में उतारा था। जहाँ से जीतकर वह संसद पहुंचे। इससे पहले दानिश बलूचिस्तान की प्रांतीय विधानसभा के सदस्य (MLA) भी रह चुके हैं।

बता दें कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार विशेषज्ञ भी चिंता जाहिर कर चुके हैं। इसी साल जनवरी में संयुक्त राष्ट्र (UN) के विशेषज्ञों ने कहा था कि पाकिस्तान में अपहरण, जबरन विवाह, और नाबालिग लड़कियों के जबरन धर्मांतरण में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इसे रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए। UN के मानवाधिकार विशेषज्ञों की एक टीम ने कहा था कि, 'हमें यह सुनकर बेहद दुख हुआ कि 13 वर्ष से उम्र की लड़कियों को उनके घरों से किडनैप किया जा रहा है। इसके बाद तस्करी करके इन लड़कियों को घरों से दूर जगहों पर भेजा जा रहा है। यही नहीं, लड़कियों को उनकी उम्र से दोगुनी उम्र के पुरुषों से निकाह करने और इस्लाम कबूल करने के लिए विवश किया जा रहा है। यह सब अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का उल्लंघन है।'

UN के विशेषज्ञों ने यह भी कहा था कि, 'हम बेहद चिन्तित हैं कि इस प्रकार के विवाह और धर्मांतरण, इन लड़कियों और महिलाओं या उनके परिवारों को हिंसा की धमकी देकर करवाए जा रहे हैं।' इन विशेषज्ञों ने पाकिस्तान में, जबरन धर्मांतरण और अल्पसंख्यक पीड़ित परिवारों को इंसाफ न मिल पाने को लेकर भी निराशा जाहिर की थी।

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