गणेश चतुर्थी से पहले कांग्रेस सरकार के आदेशों पर बवाल, भाजपा ने दागे गंभीर सवाल

गणेश चतुर्थी से पहले कांग्रेस सरकार के आदेशों पर बवाल, भाजपा ने दागे गंभीर सवाल
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बैंगलोर: कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने गणेश चतुर्थी के दौरान प्रसाद वितरण के लिए हाल ही में जो निर्देश जारी किए हैं, वे विवादों और आलोचना का केंद्र बन गए हैं। सरकार ने यह आदेश दिया है कि केवल भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा पंजीकृत या लाइसेंस प्राप्त व्यक्ति या संगठन ही गणेश चतुर्थी के दौरान प्रसाद तैयार कर सकते हैं और वितरित कर सकते हैं। इस निर्देश ने राज्य में नाराजगी बढ़ा दी है, खासकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे हिंदू विरोधी कार्रवाई बताया है।

भाजपा ने इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए इसे हिंदू त्योहारों में हस्तक्षेप और धार्मिक प्रथाओं को नियंत्रित करने की कोशिश करार दिया है। सोशल मीडिया पर भी कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि वह हिंदू परंपराओं और मान्यताओं को कमजोर कर रही है। भाजपा ने सवाल उठाया कि जब ईद, रमज़ान, क्रिसमस या अन्य धार्मिक अवसरों पर किसी भी तरह के खाद्य सुरक्षा मानकों को लागू नहीं किया जाता, तो फिर सिर्फ गणेश चतुर्थी पर ही यह नियम क्यों लागू किए जा रहे हैं?

यहां यह सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस सरकार का यह कदम सच में भक्तों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है, या फिर यह हिंदू त्योहारों में हस्तक्षेप करने और अपने खास वोट बैंक को खुश करने की एक रणनीति है। जब अन्य धर्मों के त्योहारों पर सड़कों पर खुलेआम खाद्य सामग्री वितरित की जाती है, तो सरकार उन पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं करती? क्या तब किसी का लाइसेंस चेक किया जाता है? ईद पर जब सड़कों पर बकरे काटे जाते हैं और भीड़ उमड़ती है, या रमज़ान के समय स्टॉल्स पर जमा होती है, तब क्या खाद्य सुरक्षा के मानकों को लागू किया जाता है?

इस पूरे विवाद के बीच, गणेश चतुर्थी का मुख्य उद्देश्य – भक्ति, एकता और समुदाय की भावना – कहीं खो गया है। यह स्पष्ट है कि इस तरह के निर्देश केवल एक विशेष धर्म के त्योहारों पर लागू किए जा रहे हैं, जबकि अन्य धर्मों के अवसरों पर सरकार कोई रोक-टोक नहीं करती। भाजपा ने सवाल उठाया है कि कांग्रेस सरकार अपने तुष्टिकरण की नीति के तहत हिंदू त्योहारों में जानबूझकर अड़चनें डाल रही है। सरकार की यह नीति न केवल धार्मिक स्वतंत्रता को बाधित कर रही है, बल्कि देश में सांप्रदायिक विभाजन को भी बढ़ावा दे रही है। आलोचकों का कहना है कि यह कदम सिर्फ हिंदू समुदाय को निशाना बनाने और अपने खास वोट बैंक को खुश करने की राजनीति का हिस्सा है।

अंत में, यह सवाल महत्वपूर्ण है कि क्या कांग्रेस सरकार भविष्य में भी ऐसे ही निर्देश अन्य धर्मों के त्योहारों पर लागू करेगी, या यह सिर्फ हिंदू त्योहारों के खिलाफ उठाया गया एक राजनीतिक कदम है? क्योंकि, इससे पहले कर्नाटक का शिक्षा विभाग स्कूलों के मैदान में गणेशोत्सव का आयोजन करने पर प्रतिबंध लगा चुका है, जबकि सालों से उन मैदानों पर आयोजन होते आए हैं। यहाँ तक कि कांग्रेस के नेताओं ने भी उन मैदानों का इस्तेमाल अपनी चुनावी रैलियों के लिए किया है, मगर अब वहां गणेशोत्सव रोक दिया गया है। इसके अलावा गणेश प्रतिमा लगाने के लिए, समितियों को स्थानीय अधिकारियों और पुलिस विभाग से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। जिसके लिए आयोजकों को अधिकारियों के चक्कर लगाने होंगे, आलोचकों का ये भी सवाल है कि क्या किसी दूसरे धर्म के त्योहारों के लिए कांग्रेस सरकार ने इस तरह का आदेश दिया है ।   

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