अक्सर लोग नई कार खरीदते है, और उसे कुछ फीचर्स के लिए मोडिफाई करवाते है. देश में ऐसे मार्केट भी है जहां खासतौर पर छोटी-बड़ी कारों को मोडिफाई किया जाता है. आपको बता दे कि देश के व्हीकल एक्ट में कुछ नियम ऐसे है जिसके तहत मोडिफाई कराने से पहले आपको कुछ बातों का ख्याल रखना पड़ता है. कुछ नियम तो ऐसे भी है यदि कार को आपने मोडिफाई नहीं करवाया तो आपको तगड़ी चपत भी लग सकती है. सीएमवीआर के नियम 100 (2) के तहत डार्क टिटेड ग्लास को बैन कर दिया गया है. इसके अलावा विंडशील्ड 70 फीसदी स्पष्ट होनी चाहिए.
कार में यदि फैंसी हॉर्न लगाना चाहते है तो आपको जानकारी दे दे कि सीएमवीआर के नियम 119 (2) के तहत पूरी तरह गैरकानूनी है. किसी भी व्हीकल का हॉर्न 115 dB से ज्यादा नहीं होना चाहिए. यदि कलर इंडिकेटर्स की बात करे तो सीएमवीआर के नियम 102 के अनुसार, इंडिकेटर में अम्बर कलर ही इस्तेमाल होगा. फ्लैश रेट भी 60 से 120 प्रति मिनट होना चाहिए. इससे अधिक की अनुमति नहीं है. कई लोग कार में लाऊड एग्जॉस्ट को लगवाना पसंद करते है. यह देखने और सुनने में बहुत अच्छा लगता है किन्तु आफटरमार्केट एग्जॉस्ट को 30 डिग्री से ज्यादा डाउनवर्ड नहीं करे.
एग्लॉस्ट को व्हीकल के लेफ्ट साइट से बाहर नहीं करे. एग्जॉस्ट 88dB से ज्यादा तेज आवाज का इस्तेमाल न करे. मोडिफाई कराने से पहले ओरिजिनल कार कम्पनी इसे इसकी अनुमति जरूर ले. जिस प्लान को आपने स्वीकृत करवाया है उसके अनुसार ही मोडिफिकेशन करवाए. मोडिफाइड कार को तीन सरकारी एप्रूव्ड सर्टिफाइंग एजेंसी से कार सर्टिफाइड कराए.
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