नई दिल्ली: कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव जयराम रमेश ने मंगलवार को मुख्य चुनाव आयुक्त राजी कुमार के साथ बैठक का अनुरोध किया ताकि विपक्षी दल के नेता इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के संबंध में अपनी चिंताओं पर चर्चा कर सकें। मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) को लिखे पत्र में जयराम रमेश ने लिखा कि, ''मैं एक बार फिर INDIA गठबंधन में शामिल पार्टी नेताओं की 3-4 सदस्यीय टीम को आपसे और आपके सहयोगियों से मिलने और VVPAT (मतदाता-सत्यापित पेपर ऑडिट ट्रेल) पर अपनी बात रखने के लिए कुछ मिनट का समय देने का अनुरोध करता हूं।''
अपने पत्र में, उन्होंने उल्लेख किया कि INDIA ब्लॉक ने पिछले साल अगस्त से कई मौकों पर बैठक का अनुरोध किया था। उन्होंने आगे कहा कि, "हम इस प्रस्ताव की एक प्रति सौंपने और चर्चा करने के लिए चुनाव आयोग से मिलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अब तक ऐसा करने में सफल नहीं हुए हैं।" बता दें कि, 20 दिसंबर को, इंडिया ब्लॉक पार्टियों ने पिछले दिन आयोजित ब्लॉक के नेताओं की बैठक में पारित एक प्रस्ताव के आधार पर "VVPAT के उपयोग पर चर्चा करने और सुझाव देने" के लिए चुनाव आयोग के साथ एक नियुक्ति का अनुरोध किया था।
विपक्ष ने सबसे पहले 9 अगस्त, 2023 को मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ बैठक का अनुरोध किया था। विपक्षी दलों ने अपनी EVM संबंधी चिंताओं पर भारत के चुनाव आयोग को एक ज्ञापन सौंपा था। रमेश का पत्र विपक्षी इंडिया गुट द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की अखंडता पर चिंता जताए जाने के बाद आया है। ब्लॉक ने मतदाताओं को VVPAT पर्चियां वितरित करने और बाद में 100 प्रतिशत गिनती कराने का सुझाव दिया। भाजपा की हालिया राज्य विधानसभा जीत से उत्साहित विपक्षी नेता इस मुद्दे को सामूहिक रूप से उठाने की योजना बना रहे हैं।
चुनाव आयोग वर्तमान में परिणाम घोषित करने से पहले प्रति विधानसभा क्षेत्र या खंड में पांच यादृच्छिक रूप से चयनित मतदान केंद्रों से वीवीपैट पर्चियों का सत्यापन करना अनिवार्य करता है। बता दें कि, चुनाव में हार मिलने के बाद अक्सर विपक्षी दलों द्वारा EVM पर उंगलियां उठाई जाती रहीं हैं, वहीं, जीत मिलने पर पार्टियां मौन रहती हैं। इस सिलसिला कई सालों से चल रहा है। इसी के मद्देनज़र 2017 में चुनाव आयोग ने सभी दलों को चैलेंज देते हुए बुलाया था कि, वे हर पार्टी को 4 घंटे देने के लिए तैयार हैं, पार्टियां EVM को हैक करके दिखाएं। इसलिए लिए सियासी दलों को EVM चुनने की आज़ादी भी दी गई थी। लेकिन उस समय चुनाव आयोग के आमंत्रण पर कोई सियासी दल शामिल नहीं हुआ था। यहाँ तक कि, विपक्षी दल EVM के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी गए थे, लेकिन अदालत को भी इसमें कोई समस्या नहीं दिखी थी और विपक्ष को वहां से भी निराशा मिली थी।