सुरो की मल्लिका 'बेगम अख्तर' का आज 103वा जन्मदिन है. जब भी लखनऊ घराने की बात की जाये और ऐसे में अगर बेगम अख्तर का जिक्र न हो तो उनके बिना ये बात अधूरी ही रह जाएगी. मल्लिका-ए-गजल के नाम से पहचानी जाने वाली बेगम अख्तर के जन्मदिन पर गूगल ने भी डूडल के जरिये उन्हें श्रद्धांजलि दी है. बेगम अख्तर का जन्म उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में 7 अक्टूबर 1914 में हुआ था. बचपन से ही बेगम अख्तर को संगीत का बहुत शौक था लेकिन उनका परिवार संगीत के सख्त खिलाफ था बावजूद इसके उन्होंने संगीत नहीं छोड़ा और सुरो की दुनिया में एक बड़ा मुकाम हासिल किया.
बेगम अख्तर क्लासिकल म्यूजिक में दादरा और ठुमरी के लिए जानी जाती थीं. बेगम अख्तर की एक और दिलचस्प बात है कि उन्हें संगीत के पहले नाटकों के जरिए लोकप्रियता मिली थी. इतना ही नहीं नाटकों में लोकप्रियता के बाद बेगम अख्तर को कोलकत्ता की ईस्ट इंडिया कंपनी में एक्टिंग करने का मौका भी मिला था. बेगम अख्तर ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत फिल्म 'एक दिन का बादशाह' से की थी. लेकिन इस फिल्म को कुछ खास सफलता नहीं मिल पाई थी जिसके बाद बेगम वापिस लखनऊ लौट गयी थी. वहां उनकी मुलाकात निर्माता-निर्देशक महबूब खान से हुई, महबूब बेगम अख्तर के टैलेंट से काफी प्रभावित हुए जिसके बाद महबुब ने उन्हें मुंबई बुलाया. इस बार मुंबई आकर बेगम ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और फिल्मो के साथ-साथ वह गायन में भी आगे बढ़ती गयी. कला के क्षेत्र में बेगम अख्तर को सन 1968 में पद्म श्री और सन 1975 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.
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