नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कालेधन पर लगाम कसने के लिये भले ही पांच सौ और एक हजार रूपये के नोटों को चलन से बंद करने का फैसला सुनाया हो लेकिन नोटबंदी की योजना 6 लोगों के दिमाग की उपज थी। इस योजना को कैसे और किस तरह से अमली जामा पहनाया जाये, इस विषय पर न केवल गहन शोध किया गया वहीं नोटबंदी के बाद होने वाली प्रतिक्रियाओं पर भी गौर किया गया था।
इन सबके बाद ही मोदी ने नोटबंदी का ऐलान कर दिया। जिन 6 लोगों की बात सामने आई है वे सभी मोदी के विश्वसनीय आदमी है तथा मोदी के ही आवास पर बैठकर नोटबंदी की योजना को अमल में लाने का खेल खेला गया।
गोपनीयता की ली थी शपथ
बताया गया है कि मोदी के निवास स्थान पर जिन 6 लोगों ने नोटबंदी की योजना को बनाया, उन्हें गोपनीयता बरकरार रखने की शपथ दिलाई गई थी। इन 6 लोगों का नेतृत्व राजस्व सचिव हंसमुख अधिया ने किया। जानकारी मिली है कि मोदी ने अपनी नोटबंदी की सबसे पहले यदि किसी से चर्चा की थी तो वह हंसमुख अधिया ही थे। बताया जाता है कि अधिया समेत 5 अन्य लोगों के अलावा एक युवा रिसर्च टीम भी साथ थी, जिसने मोदी के आवास स्थान पर दो कमरों में दिन रात काम किया।
खतरा मोल लिया मोदी ने
बताया जाता है कि मोदी ने विमुद्रीकरण के निर्णय को हर पहलु पर सोच समझकर ही लिया था। उन्होंने अपने भरोसेमंद साथियों से भी संभवतः यह कहा था कि वे हर तरह का खतरा मोल लेने के लिये तैयार है, क्योंकि उन्होंने लोकसभा चुनाव के पहले कालाधन खत्म करने का वादा जनता से किया था। बताया जाता है कि मोदी ने अपने मंत्रियों से भी यह कहा था कि यदि कुछ भी गलत होता है तो वे उसके लिये जिम्मेदार रहेंगे।
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