नई दिल्ली : बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ जब से बेनामी संपत्ति का केस दर्ज हुआ है, तब से उनकी कुर्सी पर संकट मंडरा रहा है.खुद की बेगुनाही के लिए तेजस्वी ने दलील दी कि जब इन बेनामी संपत्तियों का कथित तौर पर अधिग्रहण किया गया, तब उनकी उम्र 14-15 वर्ष थी और 'मूंछ' भी नहीं निकली थी. लेकिन उनकी यह दलील इसलिए कमजोर पड़ जाएगी क्योंकि बेनामी संपत्ति कानून में उम्र कोई मायने नहीं रखती.
उल्लेखनीय है कि लालू यादव के बेटे और बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की बेनामी संपत्ति कानून के तहत मामला दर्ज होने के बाद उनकी कुर्सी खतरे में पड़ गई है उन पर अपने पद से इस्तीफा देने का दबाव बढ़ गया है. बता दें कि अपने बचाव में तेजस्वी की मूंछ वाली दलील इसलिए प्रभावी नहीं मानी जाएगी क्योंकि बेनामी संपत्ति लेनदेन (निषेध) कानून 1988 और 2016 में हुए संशोधनों में बेनामीदार की उम्र को कोई महत्व नहीं दिया गया है. इन संशोधनों से यह स्पष्ट है कि बेनामी संपत्ति को केंद्र सरकार जब्त कर सकती है. इस दायरे में तेजस्वी के साथ ही उनकी बहन मीसा भारती की बेनामी संपत्ति भी आती हैं.भले ही उस समय उम्र कुछ भी रही हो.
हालाँकि बिहार के सभी राजद विधायक तेजस्वी के पक्ष में है, लेकिन भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सुशासन बाबू सीएम नीतीश कुमार की साख भी दांव पर लगी है.जदयू द्वारा राजद को दिया गया अल्टीमेटम का समय धीरे -धीरे खत्म होने की ओर बढ़ रहा है. ऐसे में बिहार की नीतीश सरकार का क्या होगा इस पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं.
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