संदेह का लाभ..! शाहरुख़-शहनावाज सहित दिल्ली दंगों के 10 आरोपियों को कोर्ट ने किया बरी

संदेह का लाभ..! शाहरुख़-शहनावाज सहित दिल्ली दंगों के 10 आरोपियों को कोर्ट ने किया बरी
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नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने 2020 के गोकुलपुरी दंगा मामले में संदेह का लाभ देते हुए 10 आरोपियों को बरी कर दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (ASJ) पुलस्त्य प्रमाचला ने 12 सितंबर को इस फैसले की घोषणा की। बरी किए गए आरोपियों में मोहम्मद शाहनवाज उर्फ शानू, मोहम्मद शोएब उर्फ छुटवा, शाहरुख पठान, राशिद उर्फ राजा, आजाद, अशरफ अली, परवेज, मोहम्मद फैसल, राशिद उर्फ मोनू और मोहम्मद ताहिर शामिल हैं। मजे की बात ये भी है कि, सरेआम पुलिसकर्मी पर पिस्टल तानने वाले दंगाई शाहरुख़ पठान को भी कोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया, जिसकी तस्वीर दंगों के समय काफी वायरल हुई थी। क्या उस पुलिस जवान की गवाही पर्याप्त नहीं थी कि उसने अपनी आँखों से शाहरुख़ को दंगे करते देखा था। 

 

बहरहाल, जज प्रमाचला ने अपने आदेश में कहा, "मुझे लगता है कि इस मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोप उचित संदेह से परे साबित नहीं हुए हैं। इसलिए, आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए उन्हें बरी किया जाता है।" इन व्यक्तियों पर पुलिस ने धारा 147/148/149/436/454/392/452/188/153-ए/427/506 आईपीसी के तहत दंडनीय अपराध करने के आरोप लगाए थे। मामले की शुरुआत 24 फरवरी 2020 को हुई, जब शिकायतकर्ता नरेंद्र कुमार ने गोकुलपुरी थाना में लिखित शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने आरोप लगाया कि लगभग 1500 दंगाई हथियारों से लैस होकर उनकी पिज्जा दुकान में तोड़फोड़ करने लगे और फिर उनके घर की ऊपरी मंजिलों पर चढ़ गए। दंगाइयों ने उन्हें धमकी दी कि वे घर खाली करें, अन्यथा जलाकर मार डालेंगे। इसके बाद, दंगाइयों ने घर से सोना, चांदी और नकद लूट लिया, घर के फर्नीचर में आग लगा दी, और अन्य दस्तावेजों को जला दिया।

 

इस मामले में पहली पूरक चार्जशीट 09 जनवरी 2023 को दायर की गई, जिसमें शिकायत, दस्तावेज और बयान शामिल थे। दूसरी पूरक चार्जशीट 25 सितंबर 2023 को दायर की गई। हालांकि, 09 अक्टूबर 2023 के आदेश के अनुसार, अदालत ने पाया कि रिंकू की शिकायत को इस मामले में नहीं जोड़ा जा सकता था और केवल धारा 196 सीआरपीसी के तहत मंजूरी और दो पुलिस अधिकारियों के बयानों पर विचार किया गया था। हालांकि,  गौर करने वाली बात ये है कि, दंगा 1500 से अधिक लोगों ने किया, पकड़े उसमे से कुछ गए, और उनमे से भी 10 आरोपियों को कोर्ट ने संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया, तो फिर दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगों में हुई 53 मौतों का जिम्मेदार कौन है ? क्या उन 53 लोगों ने ख़ुदकुशी कर ली थी ?

दिल्ली दंगों को क्यों कहा जाता है हिन्दू विरोधी दंगा ?

बता दें कि, 2020 दंगों का मुख्य आरोपी और आम आदमी पार्टी (AAP) का पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन खुद कबूल चुका है कि, उसने हिन्दुओं को सबक सीखाने के लिए यह साजिश रची थी। इस ताहिर हुसैन को बचाने के लिए भी ऑल्टन्यूज़, राणा अय्यूब, संजुक्ता बसु (राहुल गांधी की करीबी) ने सोशल मीडिया पर काफी भ्रम फैलाया था, लेकिन जब कोर्ट में ट्रायल चला, तो ताहिर हुसैन ने खुद कबूल किया कि उसके द्वारा जुटाई गई भीड़ अधिक से अधिक हिन्दुओं को मारना चाहती थी। ताहिर ने कोर्ट में कबूला कि, उसने इलाके के CCTV तुड़वा दिए थे और अपने लोगों को लाठी-डंडों और हथियारों को इकठ्ठा करने के लिए कहा था। जबकि, दूसरी तरफ हिन्दुओं को यह पता ही नहीं था, कि उन पर हमला करने के लिए कई दिनों से तैयारी चल रही है। किसी भी अनहोनी की आशंका से बेफिक्र हिन्दुओं पर जब हमला हुआ, तो वे खुद को बचा भी न सके। कोर्ट ने यह भी माना है कि सबूतों से यह पता चला है कि तमाम आरोपित हिंदुओं को निशाना बनाने, उन्हें मारने और संपत्तियों को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुँचाने में लिप्त थे। हिंदुओं पर अंधाधुंध फायरिंग यह स्पष्ट करती है कि यह भीड़ जानबूझकर हिंदुओं की हत्या चाहती थी। हिंदुओं की दुकानों को आग के हवाले किया जाने लगा, लूटा जाने लगा और पत्थरबाजी चालू हो गई। इन दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 200 से अधिक घायल हुए थे।  

 

इसी हिन्दू विरोधी दंगे में इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के अफसर अंकित शर्मा की भी हत्या की गई थी, उनके शरीर पर चाक़ू के 51 जख्म निशान मिले थे। यानी नफरत इस हद तक थी कि, मौत होने के बाद भी अंकित को लगातार चाक़ू मारे जा रहे थे, उनकी लाश AAP के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के घर के पास स्थित एक नाले से मिली थी। यहाँ तक कि, ताहिर हुसैन पर आरोप तय करने वाली कोर्ट खुद यह कह चुकी है कि, दंगाई भीड़ का मकसद केवल और केवल हिन्दुओं को मरना और उन्हें नुकसान पहुँचाना था। वहीं, तत्कालीन AAP पार्षद खुद यह कबूल चुका है कि, उनका मकसद हिन्दुओं को सबक सिखाना ही था। 

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