हर बार की तरह इस बार भी श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार दो दिन मनाया जा रहा है. कई स्थानों पर जन्माष्टमी का पावन पर्व कल मनाया जा चुका है, तो वहीं कई स्थानों पर जन्माष्टमी का त्यौहार आज मनाया जा रहा है. जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने की भी पुरानी परंपरा है. इस दिन व्रत रखने से मानव को कई अद्भुत लाभ प्राप्त होते हैं. तो आइए जानते हैं इनके बारे में...
जन्माष्टमी पर व्रत रखने से लाभ...
जन्माष्टमी का व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ बताया गया है. हमारे शास्त्रों में जन्माष्टमी के व्रत को व्रतराज की संज्ञा दी गई है. इसके बराबर कोई अन्य व्रत हो ही नहीं सकता है. इस दिन व्रत रखने से भक्तों को संतान, मोक्ष और भगवद प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं श्री कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है. साथ ही इससे हम दीर्घायु को प्राप्त होते हैं. इसके साथ ही भगवान श्री कृष्ण के प्रति भक्तों की भक्ति में भी वृद्धि होती है. इस व्रत को लेकर ऐसा भी कहा जाता है कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत से हमे अनेकों व्रत के बराबर पुण्य मिलता है.
दो दिनों तक जन्माष्टमी की धूम...
भगवान श्री कृष्ण के जन्म के उत्सव को प्रतिवर्ष दो दिनों तक मनाया जाता है. हर बार जन्माष्टमी के पावन पर्व की धूम लगातार दो दिनों तक देखने को मिलती है. 11 अगस्त को सुबह 9 बजकर 6 मिनट पर अष्टमी तिथि की शुरुआत हुई थी, वहीं 12 अगस्त को 11 बजकर 16 मिनट तक इसका समापन हो रहा है.
कब हुआ था श्री कृष्ण का जन्म ?
भगवान श्री कृष्ण का जन्म द्वापरयुग में हुआ था. श्री कृष्ण भगवान विष्णु के 8वें अवतार है. माता देवकी की कोख से भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण ने रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि को जन्म लिया था. श्री कृष्ण के पिता जी वासुदेव थे.
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