हमारे देश में प्रति वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गायत्री जयंती मनाई जाती है. इस बार यह पर्व 23जून,शनिवार को आ रहा है.गायत्री वेदों की माता मानी गई है .गायत्री मंत्र को सबसे जल्दी शुभ फल देता है . इसीलिए इसे सर्व सुखदायक मंत्र कहा गया है.
गायत्री महामंत्र व अर्थ : ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।
अर्थ- उस प्राणस्वरूप, दु:ख नाशक, सुख स्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देव स्वरूप परमात्मा को हम अन्तरात्मा में धारण करें। वह ईश्वर हमारी बुद्धि को सन्मार्ग पर प्रेरित करें.
गायत्री मंत्र की सावधानियां : गायत्री मंत्र जाप किसी गुरु के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए.गायत्री मंत्र जाप के लिए सुबह का समय श्रेष्ठ माना गया है, किंतु यह शाम को भी किया जा सकता है. गायत्रीमंत्र कुश या चटाई के आसन पर बैठ कर तुलसी या चन्दन की माला से करना चाहिए.सुबह होने के लगभग 2 घंटे पहले पूर्व दिशा की ओर मुख करके गायत्री मंत्र जाप करना चाहिए ,जबकि शाम के समय सूर्यास्त के घंटे भर के अंदर जाप पूरे होने चाहिए. इस मन्त्र का जाप मानसिक भी किया जा सकता है..गायत्री मंत्र जपने वाले का खान-पान शुद्ध होना चाहिए. इस मंत्र के प्रभाव से असात्विक भी सात्विक बन जाता है.
गायत्री मन्त्र के लाभ : गायत्री मंत्र को सभी सुख देने वाला माना गया है. इस मंत्र का विधि-विधान से जाप करने से धन, संतान, पारिवारिक आदि सभी समस्या दूर हो सकती है. गायत्री मंत्र का जाप करने वाले को नकारात्मक ऊर्जा असर नहीं कर सकती. इसके जाप से विद्यार्थियों की बुद्धि बढ़ जाती है.रोगी को भी इस मंत्र से फायदा होता है. नौकरी या व्यापार में में परेशानी आने पर शुक्रवार को पीले वस्त्र पहनकर गायत्री मंत्र का जाप करने से चमत्कारिक लाभ होता है.
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