विजया दशमी के दिन पंडालो में माँ दुर्गा की विदाई होती है। इस रीत के मुताबिक़ नवरात्री में माँ जगदम्बा अपने ससुराल से मायके आती है। अपने बच्चो के साथ नवरात्रि लके बाद विदाई की बेल में सुहागिन बंगाली महिलाए उनको सिंदूर लगाकर पान और मिठाई अर्पित करती है। इस दिन मान्यता के अनुसार माँ दुर्गा की जब विदाई हो जाती है तो उनका दर्शन फिर नीचे रखे कांच में लकिया जाता है। इसमें माँ की विदाई सुहागिन के रूप में किया जाता है। क्योंकि माँ को सिंदूर बहुत पसंद है।
आज विदाई के समय महिलाए सिंदूर से खेलती है और पति की लंबी उम्र की कामना करती है। इस सिंदूर को महिलाए अपने साथ घर भी ले जाती है और सिंदूर दानी में मिलाकर रखती है। इस फेस्टिवल में बंगाली औरते अपनी रीत के अनुसार मायके से जब माँ विदा होती है तो माँ का चेहरा आईने या पानी में देखती है। इनकी आरधना में सिंदूर खेला जाता है। यह एक रस्म है। मंत्रोचार के साथ नवमी कलश को वहीँ विसर्जित किया जाता है। इजराइल के विदेशी सेल और नीरा में सिंदूर खेला को देखने पहुचे थे। उन्होंने जमकर वहां डांस भी किया और कहा की यह बहुत ही शानदार फेस्टिवल है।
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