आईआईटी दिल्ली ने कम लागत में बने कुछ उपकरण बनाएं गए हैं। जिसके कारण दिल्ली और उत्तर भारत के राज्य का प्रदूषण की रोक थाम करने में मदद मिल सकती है। इस ही तरह का एक यन्त्र है 'चक्र शील्ड'। चक्र शील्ड प्रदूषण को स्याही में बदलने के लिए प्रयोग होता है, जो बाद में चित्रकारी के काम में आ सकती है। आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्रों द्वारा बनाया गया है\ 'रेट्रोफिट डिवाइस' प्रदूषण के 90 प्रतिशत कणों को एगजास्ट में ही रोकने की क्षमता रखता है जिससे डीजल जनरेटर से होने वाले प्रदूषण पर रोक लगाई जा सकती है।
वर्ष 2017 में डिज़ाइन किया गया उपकरण 'नैसोफिल्टर',ग्राहकों को पीएम 2.5 के कणों सहित वायु प्रदूषण से बचाने में समर्थ है, जिससे सांस की बीमारियों का खतरा कम हो सकता है। इस उपकरण के इस्तेमाल से पीएम 10 के कणों से पूरी तरह से बचा जा सकता है, जबकि ये पीएम 2.5 के 95 प्रतिशत कणों पर काबू पा सकता है। नैसोफिल्टर 8 से 10 घंटो तक इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
दूसरे स्टार्ट-अप 'क्रिया लैब्स' ने पराली जलाने के कारण होने वाले प्रदूषण को रोकने के प्रयास में एक प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी विकसित की जा सकती है। जिससे एग्रो वेस्ट जैसे चावल के भूसे को पल्प में बदल लिया जा सकता है। इस पल्प का इस्तेमाल कई बायोडिग्रेडेबल उत्पाद जैसे कप, प्लेट और अन्य टेबलवेयर बनाने में किया जाता है। इजीयो वायु प्रदूषण मॉनिटर को हमारे स्थानीय वातावरण जैसे कि एक कमरे या कार में प्रदूषण के स्तर की जांच करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। स्टार्ट-अप एयरोग्राम प्राइवेट लिमिटेड जरिये बनाए गए इस डिवाइस से पूरे शहर के लिए एक विस्तृत नक्शा बनाने और विभिन्न क्षेत्रों में प्रदूषण के स्तर का पता लगाने में भी मदद कर सकता है।
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर रिसर्च ऑन क्लीन एयर को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने स्टार्ट-अप नेशनल अवॉर्ड 2017 से सम्मान किया था। सेंटर ने साउथ कोरिया सरकार द्वारा जारी की गई दुनिया के टॉप 50 तकनीकी स्टार्टअप की लिस्ट में भी जगह बनाई गई है। ये स्टार्ट अप आईआईटी दिल्ली के छात्रों, पूर्व छात्रों और शिक्षकों द्वारा संचालित किया जा सकता है।
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