विश्व के सफलतम निवेशकों में एक वारेन बफेट का कहना है कि जो लोग ‘जोखिम मुक्त रिटर्न’ चाहते हैं, अधिक संभावना इस बात की है कि वे रिटर्न मुक्त जोखिम हासिल करना होगा। फिलहाल वारेन बफेट ने यह बात अमेरिका के बांड निवेशकों के लिए कही थी। परन्तु यह बात भारत में रिटायरमेंट की ओर बढ़ रहे या रिटायर हो चुके लोगों के लिए ज्यादा सही है। भारत में बचत करने वालों, निवेशकों और निवेश सलाहकारों के दिमाग में यह बात जड़ जमा चुकी है कि रिटायरमेंट के लिए की गई बचत को ऐसी जगह निवेश करना चाहिए, जहां जोखिम का स्तर कम से कम हो।
रिटायरमेंट के लिए निवेश को लेकर आम भारतीय की एक खास तरह की सोच है। यह सोच सिखाती है कि रिटायरमेंट के लिए की गई बचत का तरह से निवेश किया जाए कि मूल रकम सुरक्षित रहे या इसे जरा भी नुकसान न हो। वे यह भूल जाते हैं कि महंगाई उनकी रकम की वास्तविक कीमत को लगातार कम कर रही है। महंगाई दर सालाना पांच से लेकर 12 प्रतिशत तक कुछ भी हो सकती है। कुछ लोग जरूर किस्मत वाले हैं जिनको प्रॉपर्टी जैसी चीजों से रिटर्न मिलता है और वे महंगाई के असर का बेहतर तरीके से सामना कर पाते हैं।
निवेश में जोखिम की बात बाजार में कम अवधि के उतार-चढ़ाव को लेकर कही जाती है। इक्विटी में कम अवधि में उतार-चढ़ाव का दौर आता है, परन्तु इस जोखिम का सामना करने पर बेहतर रिटर्न मुआवजे के तौर पर मिलता है। लंबी अवधि के निवेश में कम अवधि के उतार-चढ़ाव को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। आप बीते एक दशक का उदाहरण ले लीजिए। यदि किसी ने इस अवधि में फिक्स्ड इनकम ऑप्शन में निवेश किया होता तो उसे आठ प्रतिशत से थोड़ा अधिक रिटर्न मिला होता। यदि किसी ने 10,000 रुपये महीना 10 साल तक फिक्स्ड इनकम ऑप्शन में निवेश किया होता तो उसे 18-19 लाख रुपये मिलते।
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