21- मस्तक सोहे चन्द्रमा, गंग जटा के बीच,
श्रद्धा से शिवलिंग को, निर्मल जल मन से सीच।
22- नाच रहे ड़मरू की ताल पर शिवशंम्भु,
त्रिशुलधारी गंगाधर बाबा महाकाल सर्वेशु।
23- शव हूँ मैं भी शिव बिना, शव में शिव का वास,
शिव मेरे आराध्य हैं, मैं हूँ शिव का दास ॥
24- ना जीने की खुशी, ना मौत का गम,
जब तक हैं दम, महादेव के भक्त रहेंगे हम।
25- जिनके रोम-रोम में शिव हैं, वहीं विष पिया करते हैं,
जमाना उन्हें क्या जलायेंगा, जो श्रृंगार ही अंगार से करते हैं।
26- ना पूछो मुझसे मेरी पहचान, मैं तो भस्मधारी हूँ,
भस्म से होता जिनका श्रृंगार, मैं उस भोलेनाथ का पुजारी हूँ।
27- कोई दौलत का दीवाना, कोई शोहरत का दीवाना,
शीशे सा मेरा दिल, मैं तो सिर्फ महादेव का दीवाना।
28- जब ज़माना मुश्किल में दाल देता हैं,
तब मेरे भोले हज़ारों रास्ते निकाल देता हैं।
29- किस्मत लिखने वाले को भगवान कहते हैं,
और बदलने वाले को भोलेनाथ कहते हैं।
30- बाबा महाकाल के भक्त हैं, हर हाल में मस्त हैं
जिंदगी एक धुँआ हैं, इसलिए हम चिलम मैं मस्त हैं।