यदि आप Income Tax Payer हैं तो वित्त वर्ष 2019-20 के लिए टैक्स बचाने का यह आखिरी मौका है।वही इसके लिए आप वित्त वर्ष की शुरुआत से ही प्लानिंग करते हैं।इसके अलावा टैक्स सेविंग की सही रणनीति केवल कर का भार घटाने से जुड़ी हुई नहीं होती है। वही इसकी प्लानिंग में अधिकतम रिटर्न हासिल करने के साथ जोखिम को एक सीमा के भीतर रखने पर ध्यान देना होता है। कोई भी अपने वित्तीय लक्ष्य को ध्यान में रखकर टैक्स सेविंग की योजना बनाता है। इसके अलावा यह टैक्सपेयर की उम्र, जरूरत और जोखिम लेने की क्षमता पर निर्भर होता है। चलिए जानते हैं एक्सपर्ट्स की राय में आपको किन टैक्स सेविंग स्कीम्स को वरीयता देनी चाहिए।
NPS और PPF में से किसे चुनें?
टैक्स एवं निवेश मामलों के विशेषज्ञ बलवंत जैन के अनुसार National Pension System (NPS) और Public Provident Fund (PPF) दोनों लंबी अवधि के निवेश उत्पाद हैं। हालांकि, इन दोनों योजनाओं से निवेशकों को अलग तरह के लाभ मिलते हैं। एनपीएस विशुद्ध रूप से रिटायरमेंट से जुड़ी स्कीम है। निवेशक के रिटायरमेंट के साथ एनपीएस फंड मेच्योर होता है। इसके साथ ही इस फंड के मेच्योर होने पर 60 फीसद राशि पर किसी तरह का टैक्स नहीं लगता है । वहीं शेष 40 फीसद राशि को किसी Annuity Plan में निवेश करना होता है। Annuity से प्राप्त आय पर बाद में स्लैब रेट के आधार पर टैक्स देना होता है। वही इस तरह एनपीएस से प्राप्त आय पूरी तरह से टैक्स फ्री नहीं होती है। NPS पर Section 80CCD के तहत 50,000 रुपये तक का अधिक कर लाभ मिलता है। यदि आप 80 (C) के अतिरिक्त भी टैक्स में छूट चाहते हैं तो इस विकल्प को चुन सकते हैं। इसके अलावा PPF में निवेश करने पर आयकर अधिनियम की धारा 80 (सी) के तहत छूट मिलती है। वही इससे होने वाली आय पर पूरी तरह टैक्स में छूट मिलती है। PPF निवेश पर हर तिमाही में ब्याज संशोधन होता है। इस फंड में न्यूनतम 15 साल तक निवेश करना होता है।
ULIP या ELSS में कौन सा बेहतर
आयकर की मौजूदा व्यवस्था के तहत इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80 (सी) के अंतर्गत प्रति वर्ष 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स में छूट मिलती है। Unit Linked Insurance Policy (ULIP) और Equity Linked Savings Schemes (ELSS) में निवेश करने पर इनकम टैक्स में छूट मिलती है। फिलहाल , कई टैक्सपेयर इन दोनों योजनाओं में निवेश को लेकर भ्रमित रहते हैं। दोनों स्कीम्स में एक को चुनने में उन्हें समय लगता है। ऐसे में टैक्सपेयर्स को यह समझना जरूरी है कि इन दोनों स्कीम्स में बुनियादी भेद क्या है। जैन के अनुसार ULIP जहां इंवेस्टमेंट के साथ-साथ निवेश से जुड़ा उत्पाद है, वहीं ELSS पूरी तरह से निवेश से जुड़ा उत्पाद है। बकौल जैन ULIP का लॉकिन पीरियड जहां पांच साल होते हैं। ELSS में न्यूनतम तीन साल तक निवेश करना होता है। एक्सपर्ट का कहना है कि ULIP पर ELSS के मुकाबले ज्यादा शुल्क लगता है। उनके अनुसार ELSS में आप एकमुश्त या एसआईपी के जरिए निवेश कर सकते हैं। ULIP में सालाना निवेश करना होता है। जैन ने कहा कि ULIP में आप डेब्ट और इक्विटी दोनों तरह के एसेट में निवेश कर सकते हैं। ELSS में केवल इक्विटी श्रेणी में निवेश किया जा सकता है।
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