फेस्टिव सीजन खत्म होने के साथ लाइफ इंश्योरेंस कंपनियां नए तरह के ऑफर लेकर आई हैं। वे उपभोक्ता को आकर्षित करने के लिए सीमित अवधि वाले ऑफर दे रही हैं, जिनका फायदा उठाने के लिए 30 नवंबर के पहले बीमा पॉलिसी खरीदनी होगी। इंश्योरेंस रेगुलेटरी ऐंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (इरडई) की जीवन बीमा से संबंधित प्रॉडक्ट्स की नई गाइडलाइन एक दिसंबर से लागू होने वाली हैं। बीमा कंपनियों को नए नियमों के तहत मौजूद नहीं होने वाले प्रॉडक्ट्स को उससे पहले मार्केट से हटाना होगा। वे ऑफर में 'नए प्लान के अधिक प्रीमियम', 'रिटर्न की कम गारंटी' जैसे पहलुओं की आड़ में बिक्री करने की कोशिश कर रही हैं। बेहतर होगा कि इन पर विश्वास करने से पहले आप नए नियमों के तहत होने वाले बदलावों को समझ लें।
IDBI फेडरल लाइफ इंश्योरेंस के CMO और हेड (प्रॉडक्ट्स) कार्तिक रमन ने बताया, 'पॉलिसियों के दाम बढ़ सकते हैं, लेकिन ये ज्यादा महंगी नहीं होंगी। अधिक प्रीमियम का मतलब होगा कि ग्राहकों को बेहतर फीचर मिलेंगे।'
पेंशन प्लान की धूम, मैच्योरिटी पर एक बार में 60% पैसा निकाल सकेंगे
पेंशन प्लान खरीदने का इरादा रखने वालों के लिए नए नियम लागू होने का इंतजार करना बेहतर होगा। फिनसेफ इंडिया की फाउंडर मृण अग्रवाल ने बताया, 'पेंशन प्लान अधिक कस्टमर फ्रेंडली हो जाएंगे। बीमा के मैच्योर होने या उससे पहले पैसा निकालने में अधिक रियायत मिलेगी और निवेश के बेहतर विकल्प दिए जाएंगे।' नए पेंशन प्लान के एक दिसंबर को लागू होने के बाद बेची जाने वाली बीमा योजनाओं के मैच्योर होने पर एक बार में 60 पर्सेंट पैसा निकालने की अनुमति मिलेगी। अभी एक बार में 33 पर्सेंट पैसा निकाला जा सकता है। नए प्लान में कम रिटर्न भले मिलेगा, परन्तु योजना से जुड़े अतिरिक्त फायदे उसकी भरपाई कर देंगे। फिलहल , रिटर्न की एक-तिहाई से अधिक राशि को एकमुश्त निकालने पर टैक्स कटेगा।
ULIP खरीदारों को फायदा, गारंटी पर खुद फैसला लेगा पॉलिसीहोल्डर
रेगुलेटर ने इंश्योरेंस कंपनियों के लिए मैच्योरिटी पर मिलने वाली रकम पर गारंटी देना अनिवार्य कर दिया था, जिसके बाद पेंशन के ULIP सेगमेंट में ग्राहकों की दिलचस्पी घटी है। कंपनियों को डेट इंस्ट्रूमेंट में निवेश करना पड़ रहा था, जिससे रिटर्न की क्षमता घट जाती है। नए नियमों के तहत पॉलिसी होल्डर को तय करना होगा कि उसे गारंटी चाहिए या नहीं। यदि आप जवान हैं और लॉन्ग-टर्म इनवेस्टमेंट में विश्वास रखते हैं, तो आप निवेश का अधिक हिस्सा इक्विटी में लगा सकते हैं। इससे आपको रिटायरमेंट के लिए अधिक पैसा जुटाने में मदद मिलेगी।
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