भड़ली नवमी आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को होती है। जी हाँ और इस साल भड़ली नवमी (Bhadli Navami ) 08 जुलाई दिन शुक्रवार को मनाई जाने वाली है। आप सभी को बता दें कि भड़ली नवमी को भड़ल्या नवमी, कंदर्प नवमी आदि नामों से भी जाना जाता है। जी हाँ और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भड़ली नवमी के दिन विवाह का शुभ मुहूर्त होता है। जी दरअसल इस दिन आप बिना पंचांग देखे भी विवाह कर सकते हैं क्योंकि दिनभर अबूझ मुहूर्त होता है। आप सभी को यह भी जानकारी दे दें कि भड़ली नवमी को अक्षय तृतीया के समान ही महत्वपूर्ण मानते हैं और इस दिन आप बिना मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं। अब हम आपको बताते हैं भड़ली नवमी की सही तिथि, धार्मिक महत्व के बारे में।
भड़ली नवमी 2022 तिथि- पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का प्रारंभ 07 जुलाई दिन गुरुवार को शाम 07 बजकर 28 मिनट से हो रहा है। जी हाँ और इस तिथि का समापन अगले दिन 08 जुलाई शुक्रवार को शाम 06 बजकर 25 मिनट पर होगा। उदया तिथि के आधार पर भड़ली नवमी 08 जुलाई को मनाई जाएगी।
शिव समेत 3 सुंदर योग में भड़ली नवमी- इस साल भड़ली नवमी पर शिव योग समेत तीन शुभ योग बन रहे हैं, जो इस दिन के महत्ता को और भी बढ़ा देते हैं। जी दरअसल भड़ली नवमी को प्रात:काल से ही शिव योग बना हुआ है, जो सुबह 09 बजकर 01 मिनट तक है, उसके बाद से सिद्ध योग है, जो पूरे दिन रहेगा। वहीं 08 जुलाई को रवि योग दोपहर 12 बजकर 14 मिनट से 09 जुलाई को सुबह 05 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। अब अगर देखे तो भड़ली नवमी के दिन बने शिव, सिद्ध और रवि तीनों ही योग मांगलिक और शुभ कार्यों के लिए उत्तम हैं। इसी के साथ भड़ली नवमी के दिन अभिजित मुहूर्त या शुभ समय 11 बजकर 58 मिनट से दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक है। जी हाँ और इस दिन चित्रा नक्षत्र सुबह से लेकर दोपहर 12 बजकर 14 मिनट तक है और उसके बाद से स्वाती नक्षत्र शुरु है। ये दोनों नक्षत्र भी शुभ हैं।
भड़ली नवमी पर करें शुभ कार्य- भड़ली नवमी पर अबूझ मुहूर्त तो है ही, लेकिन इस दिन शुभ योग और शुभ नक्षत्रों का संयोग भी बना हुआ है। जी हाँ और अगर आप कोई शुभ मांगलिक कार्य करना चाहते हैं, तो इस दिन कर सकते हैं। वहीं 10 जुलाई से चातुर्मास का प्रारंभ हो जाएगा, तब आपको अगले चार माह तक विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश आदि के लिए शुभ मुहूर्त प्राप्त नहीं होगा। इसी के साथ आपको बता दें कि भड़ली नवमी का महत्व अक्षय तृतीया के समान ही है और इसके अलावा इस दिन भगवान विष्णु की पूजा—अर्चना की जाती है। उनकी कृपा से कार्य सफल होते हैं और मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।
सावन के महीने में जरूर करें यह काम, मिलेगा मनचाहा वरदान
इस साल कब है राखी, जानिए शुभ मुहूर्त
चाहते हैं सुखी वैवाहिक जीवन तो इस दिशा में फेंक दें 11 गोमती चक्र