चंडीगढ़: चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों को केंद्र सरकार के नियमों के तहत लाने के सरकार के फैसले पर पंजाब के सीएम भगवंत मान ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अन्य राज्यों और सेवाओं के अधिकारियों को चंडीगढ़ पर थोपा जा रहा है और यह पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि पंजाब चंडीगढ़ पर अपने सही दावे के लिए पूरी ताकत से लड़ेगा।
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि 1 अप्रैल से चंडीगढ़ प्रशासन के तमाम कर्मचारियों को केंद्रीय सेवा नियमों के दायरे में लाया जाएगा। अब इन कर्मचारियों को दी जाने वाली सुविधाएं भी केंद्र के नियमों के अनुसार दी जाएंगी। कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र 58 से बढ़कर 60 वर्ष हो जाएगी। अब इसको लेकर केंद्र और पंजाब की नई सरकार के बीच टकराव शुरू हो गया है। दरअसल, पंजाब शुरू से दावा करता रहा है कि चंडीगढ़ उसी का हिस्सा है। 1985 में राजीव-लोंगोवाल समझौते में भी इस बात का उल्लेख हुआ था। केंद्र सरकार के इस फैसले का शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने विरोध भी किया था।
बता दें कि 18 सितंबर 1966 को पंजाब पुनर्गठन ऐक्ट पारित हुआ था। जानकारों के अनुसार, इस ऐक्ट में प्रावधान है कि चंडीगढ़ में 60 फीसदी कर्मचारी पंजाब से और बाकी 40 फीसदी हरियाणा से रहेंगे। हरियाणा के नेता भी चंडीगढ़ पर अपना दावा ठोकते हैं और कहते हैं कि यह अंबाला का हिस्सा था और अंबाला हरियाणा के अंतर्गत आता है। वहीं पंजाब इसे अपना अभिन्न हिस्सा कहता है। इन दोनों के अलावा हिमाचल प्रदेश भी चंडीगढ़ पर अपना दावा करता है। बता दें कि फिलहाल चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश है।
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