महिलाओं को माहवारी की समस्या होती है और इस समस्या के दौरान वह रसोई से लेकर मंदिर तक में प्रवेश नहीं करती. ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर क्यों आती है माहवारी? अगर आपने सोचा है और आपको नहीं पता तो हम आपको बताने जा रहे हैं इसके पीछे की कथा.
पौराणिक कथा- यह कथा उस समय की है जब देवताओं के गुरु देवराज इंद्र से क्रोधित हो गए। इसी का फायदा उठाकर असुरों ने स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया और इंद्रा को अपनी गद्दी छोड़कर भागना पड़ा। तब इस समस्या का निवारण करते हुए ब्रम्हा ने उन्हें कहा कि उन्हें किसी ब्रह्मज्ञानी की सेवा करनी चाहिए, जिससे उनकी गद्दी उन्हें वापस मिल सकती है। इस आज्ञा का पालन करने के लिए इंद्र देव ने एक ब्रम्हज्ञानी की सेवा करनी शुरू की। लेकिन इस बात से इंद्र अनजान थे कि उस ब्रम्हज्ञानी की माता असुर थी, और इसलिए उसके मन में असुरों के लिए विशेष स्थान था। और इसलिए वह इंद्र देव की सारी हवन सामग्री देवताओं की जगन असुरों को चढ़ा रहा था।
जब इंद्र को इस बात का पता चला, तो उन्होंने क्रोधित होकर उस ब्रम्हग्यानी की हत्या कर दी। इसकी वजह से इंद्र देव पर ब्रम्ह हत्या का पाप चढ़ गया, जो एक राक्षस के रूप में उनके पीछे पड़ गया। इससे छुटकारा पाने के लिए इंद्र देव ने खुद को एक फूल में छुपा लिया और 1 लाख वर्षों तक भगवान विष्णू की तपस्या की। भगवान ने खुश होकर इंद्रा देव को बचा लिया, पर पाप से छुटकारे के लिए उपाय सुझाया। भगवान ने इन्द्रदेव से कहा कि वे इस पाप के कुछ अंश को पेड़, पृथ्वी, जल और स्त्री को दे दे।
इन चरों ने इंद्र का ये आग्रह स्वीकार किया और उनसे अपने लिए के वरदान माँगा। इस पाप के अंश के बदले पेड़ को वरदान मिला कि वह अपने आप को कभी भी जीवित कर सकता है। पानी को वरदान मिला कि वह किसी भी वस्तू को स्वच्छ कर सकेगा। पृथ्वी को वरदान मिला की उसकी सभी चोटें अपने आप भर जाएंगी। और अंत में स्त्री को इंद्रा के श्राप स्वरुप मासिक धर्म की यातना मिली, जिसके लिए इंद्र ने स्त्री को यह वरदान दिया कि वह पुरुषों की अपेक्षा काम यानी कि शारीरिक संबंध का आनंद दोगुना ले पाएंगी।
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