'भैया जी बैक'टू ने फिर भिजवाया जेल! रेपिस्ट ABVP नेता को पोस्टर लगवाना पड़ा भारी, कोर्ट ने कहा- 'ये क्या है'

'भैया जी बैक'टू ने फिर भिजवाया जेल! रेपिस्ट ABVP नेता को पोस्टर लगवाना पड़ा भारी, कोर्ट ने कहा- 'ये क्या है'
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जबलपुरः मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में एबीवीपी के विद्यार्थी नेता तथा पूर्व महानगर मंत्री शुभांग गोटिया को जमानत प्राप्त होने पर शहर भर में अपने पोस्टर लगवाना भारी पड़ गया है. बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए अपराधी की जमानत रद्द करने का आदेश दिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने अपराधी शुभांग गोटिया एक सप्ताह में आत्मसमर्पण करने के निर्देश दिए हैं.  

शुभांग गोटिया पर एक युवती को शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म करने का इल्जाम है. जिसके बाद पिछले वर्ष सितंबर में पुलिस ने अपराधी शुभांग को गिरफ्तार किया था. तत्पश्चात, नवंबर 2021 में अपराधी को उच्च न्यायालय से जमानत प्राप्त हो गई थी. अपराधी ने जमानत प्राप्त होने के बाद शहर के कई क्षेत्रों में भैया जी बैक हैशटैग लिखे पोस्टर लगवाए. जिस पर पीड़िता ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर अपराधी की जमानत खारिज करने की अपील की थी. 

वही इस याचिका में बताया गया था कि अपराधी को जमानत देते हुए उच्च न्यायालय ने तथ्यों को गंभीरता से नहीं लिया. अपराधी के पूर्व इतिहास पर भी गौर नहीं किया गया. अपराधी बड़े घराने से संबंध रखता है इसलिए अपने रसूख के दम पर वह स्वयं को एक दबंग नेता के रूप में प्रचारित कर रहा है. याचिका में पीड़िता ने सर्वोच्च न्यायालय में शहर भर में लगे बैनर पोस्टर की फोटोज भी शेयर की. याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय की चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमणा तथा जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों ना आपकी जमानत रद्द कर दी जाए. अदालत ने मध्य प्रदेश सरकार को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा. अब अगली सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अपराधी तथा उसके समर्थकों ने जिस प्रकार से पोस्टर लगवाए हैं, वह उसके प्रभाव को उजागर करते हैं. समाज में इसका पीड़िता तथा उसके परिवार पर गलत असर पड़ेगा. अदालत ने कहा कि अपराधी के इस निर्लज्ज आचरण ने पीड़िता के मन में भय उत्पन्न कर दिया है तथा अपराधी यदि जमानत पर रहता है तो इससे मामले की निष्पक्ष जांच तथा स्वतंत्र ट्रायल पर प्रभाव पड़ेगा. अपराधी गवाहों को प्रभावित कर सकता है. इसलिए अपराधी जमानत का हकदार नहीं है. जिसके बाद अदालत ने अपराधी शुभांग की जमानत निरस्त कर एक सप्ताह में आत्मसमर्पण करने के निर्देश दिए हैं. 

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