जयपुर: राजस्थान में 13 नवंबर को 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं। इस दौरान गहलोत सरकार द्वारा बनाए गए नए जिलों को खत्म करने की चर्चाएँ भी तेज हो गई हैं। इस मामले में निर्णय लेने के लिए एक रिव्यू कमेटी बनाई गई थी, जिसने रिपोर्ट में कहा है कि कुछ नए जिले बिना मानकों का पालन किए बनाए गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप 5-6 छोटे जिलों को समाप्त किया जा सकता है।
पूर्व आईएएस ललित पंवार की अगुवाई में बनी इस कमेटी ने नए जिलों का दौरा कर रिपोर्ट तैयार की है। कई मंत्रियों ने यह संकेत दिया है कि जिन जिलों ने मानकों का पालन किया है, उन्हें ही बरकरार रखा जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दूदू, सांचौर, गंगापुर सिटी, शाहपुरा और केकड़ी जैसे छोटे जिलों को लेकर सवाल उठाए गए हैं।
राजस्थान में नए जिलों की मांग एक पुरानी समस्या है, खासकर बाड़मेर, जैसलमेर, जालौर, जोधपुर और बीकानेर के रेगिस्तानी इलाकों में। इनमें से कई इलाकों में जनसंख्या कम है और क्षेत्र बड़े हैं, जिससे लोगों के लिए सरकारी अधिकारियों से संपर्क करना कठिन हो जाता है। पिछले साल मार्च में गहलोत सरकार ने अनूपगढ़, बालोतरा, ब्यावर, डीग, डीडवाना-कुचामन, दूदू, गंगापुर सिटी, केकड़ी, कोटपूतली-बहरोड़, खैरथल, नीम का थाना, फलौदी, सलूंबर, सांचौर, जयपुर ग्रामीण, शाहपुरा और जोधपुर ग्रामीण के नए जिलों की घोषणा की थी।
यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि ज्यादातर नए जिले आनन-फानन में बनाए गए थे। सरकार को कोटपूतली-बहरोड़, खैरथल तिजारा, दूदू, डीग, गंगापुर सिटी, शाहपुरा, फलौदी, सलूंबर, सांचौर, अनूपगढ़, केकड़ी और नीमकाथाना जैसे जिलों को समाप्त करने पर विचार कर सकती है।
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