आप सभी को बता दें कि आज ज्येष्ठ मास ही सप्तमी तिथि है और इस तिथि को भानु सप्तमी तिथि के नाम से जाना जाता है. कहते हैं इस दिन सूर्य देव की पूजा आराधना की जाती है और इसी के साथ प्राचीन समय से ही सूर्य को पूजनीय देव माना जाता है जो व्यक्ति सुबह के समय नियमित सूर्य को जल चढ़ाता है उसे जीवन में यश और समृद्धि प्राप्त होती है. वहीं बात करें हमारे शास्त्रों की तो उसमे भी सूर्य की महिमा का वर्णन किया गया है इसी के साथ स्वस्थ और निरोगी तन व मन की कामना के लिए आज का दिन विशेष फलदायी है. कहा जाता है आज सूर्य सप्तमी या भानु सप्तमी पर भगवान सूर्य की आराधना करने का विधान है और शास्त्रों में माना गया है कि अगर सप्तमी तिथि रविवार के दिन आती है, तो उसे भानु सप्तमी कहा जाता है.
इसी के साथ कहते हैं कि इस दिन सूर्य देव पहली बार सात घोडे़ के रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे, जिस कारण से इसे सूर्य सप्तमी भी कहा जाता है. वहीं सूर्य सप्तमी का व्रत स्त्रियों के लिए मोक्ष प्रद माना जाता है, इस व्रत को करने से स्त्रियों को विशेष शुभ फल मिलता है और आज हम इस लेख में भानु सप्तमी या सूर्य सप्तमी व्रत विधि के बारे में बता रहें हैं.
आप सभी को बता दें कि आज के दिन व्रती को ब्रह्ममुहूर्त में स्नान के बाद सूर्य देव को जल चढ़ाने के साथ ही परिक्रमा भी करते रहें और अगर संभव हो तो आज किसी पवित्र नदी या तालाब में स्नान कर सूर्य को जल अर्पित करें. अब इसके बाद सूर्य को दीपदान करें और सूर्य देव की पूजा करने से बीमार व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ होता है और साथ ही उसे दीर्घायु का वरदान मिल जाता है.
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