नई दिल्ली: टीकाकरण अभियान के बीच भारत की एकमात्र स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सिन को विश्व स्वास्थ्य संगठन के पास आपातकालीन उपयोग की अनुमति के लिए भेजा गया है। इस बैठक में वैक्सीन का मूल्यांकन कर उसे WHO की सूचि में सम्मिलित करने को लेकर निर्णय होगा। हालांकि, कोवैक्सिन उन तीन टीकों में सम्मिलित है, जिनका उपयोग भारत में कोरोना महामारी के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान में किया जा रहा है। इसे जनवरी में DCGI की ओर से सीरम इंस्टीटयूट की कोविशील्ड के साथ-साथ अनुमति दी गई थी।
मगर यदि कोवैक्सिन को WHO की ओर से अनुमति प्राप्त हो जाती है तो ये एक बड़ी कामयाबी होगी, साथ ही ऐसे लोगों को विदेश जाने में सहूलियत होगी जिन्होंने कोवैक्सिन की डोज ली है। कोवैक्सिन के लिए WHO से लाइसेंस प्रक्रिया को अनुमति देना एक बड़े विवाद को निपटाने जैसा है, क्योंकि आरम्भ से ही कोवैक्सिन की प्रभावकारिता पर संदेह उठाया गया है, क्योंकि इस वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल पूरा होने से पहले ही इसे उपयोग की अनुमति दे दी गई थी।
देश में कोवैक्सिन की अब तक कम से कम 2।5 करोड़ से अधिक डोज दी जा चुकी हैं। भारत बायोटेक ने अप्रैल में बताया था कि सामान्य कोरोना रोगियों पर कोवैक्सिन 78 फीसदी तक प्रभावी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विश्वभर की अब तक कुल सात वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों के लिए आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी है, जिनमें से तीन ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजेनेका वैक्सीन का उत्पादन करने वालों के लिए हैं, जो अलग-अलग राष्ट्रीय स्तर के नियामकों से जुड़े प्रस्तुतियों के साथ हैं।
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