सीएम अशोक गहलोत और पूर्व पीसीसी चीफ सचिन पायलट दल के मध्य लगभग एक माह से लंबा चला राजनीतिक संघर्ष अभी थमा नहीं है. दोनों गुटों के मध्य मतभेद की ज्वाला रह रहकर उठ रही हैं. बाड़ाबंदी के दौरान जहां पहले नेताओं के मध्य सोशल मीडिया में ट्विटर वार चल रहा था, वहीं अब एक दूसरे का क्षेत्रों में भी विरोध किया जाने लगा है. राजनीतिक मतभेद की इस लड़ाई का नजारा गुरुवार को भरतपुर शहरों में देखने को मिला. वहां अशोक गहलोत दल के एक एमएलए के पहुंचने पर सचिन पायलट ग्रुप के समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की.
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बता दे कि गुरुवार को अशोक गहलोत गुट के एमएलए जोगिन्द्र सिंह अवाना अपने विधानसभा इलाकों नदबई गये थे. वहां पहुंचने पर सचिन पायलट समर्थकों ने अवाना के समक्ष पायलट के समर्थन में जमकर नारेबाजी कर हूटिंग की. हालात ये हो गये कि अवाना जिस तरफ भी गए पायलट समर्थक उनके पीछे चलते गए और नारेबाजी करते गये. इससे अवाना स्वंय को असहज महसूस करने लग गये, लेकिन पायलट समर्थकों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा. अवाना बीएसपी से कांग्रेस में शामिल हुये 6 विधायकों में शामिल हैं. अवाना को गहलोत गुट पूर्वी राजस्थान में गुर्जर बहुल क्षेत्रों में पायलट के ऑप्शन के रूप में आगे बढ़ाने की प्रयास कर रहा था. इससे पायलट समर्थक अवाना से नाराज हैं.
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विदित हो कि गहलोत-पायलट के मध्य चले लंबे राजनीतिक संग्राम के मध्य दिल्ली में वरिष्ठ नेताओं के हस्तक्षेप से दोनों के बीच राजनीतिक सुलह तो हो गई, किन्तु मनभेद अभी मिटे नहीं हैं. यही कारण है कि दोनों गुटों के नेताओं को जब भी और जहां भी अवसर मिलता है वे एक-दूसरे पर तंज कसने से बाज नहीं आते हैं. हालांकि, मीडिया के सामने दोनों गुट अब मतभेद और मनभेद की बात सीधे तौर पर स्वीकार नहीं करते हैं, लेकिन वो उनके बयानों और व्यवहार में साफ नजर आ जाता है. वही, दो दिन पहले दिल्ली से जयुपर लौटते ही सचिन पायलट ने सरकार और संगठन में हिस्सेदारी को लेकर जो बयान दिया था, उससे गहलोत ग्रुप में हलचल बढ़ गई थी. वहीं, अब पायलट के राज्य दौरे के प्लान से भरतपुर जैसे कई नजारे देखने को मिल सकते हैं.
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