भोपाल। भावांतर भुगतान योजना की शुरूआत मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने की थी। मगर यही योजना उनके गले की हड्डी बनती जा रही है। उन्होंने योजना के तहत किसानों को राहत पहुंचाने और फसल का उचित मूल्य दिलवाने का वादा किया था। मगर अब किसानों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस बात से किसान असंतुष्ट हैं।
हालात ये हैं कि कारोबारी कम दाम पर उपज की खरीदी कर रहे हैं। जिससे किसानों को अधिक मुनाफा नहीं हो रहा है। किसान की लागत ही निकल पा रही है। कुछ किसानों की हालात अधिक खराब है। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश की सरकार ने 16 अक्टूबर से 31 अक्टूबर के बीच किसानों को योजना हेतु पंजीयन करवाने के लिए कहा था। उक्त योजना में खरीफ की 6 फसलें शामिल की गई थीं। इस तरह की योजना को लेकर सरकार ने तय किया है कि विभिन्न राज्यों के दाम के आधार पर माॅडल दाम तय किए जाऐंगे।
राज्य सरकार द्वारा माॅडल रेट घोषित कर दिए। मिली जानकारी के अनुसार सोयाबीन 2580 रूपए प्रति क्विंटल, उड़द 3000 रूपए प्रति क्विंटल, मक्का 1190 रूपए प्रति क्ंिवटल, मूंग 4120 रूपए प्रति क्ंिवटल के दाम पर बेची गई।
कई किसानों को फसल बेचने पर घाटा हो रहा है। माॅडल रेट तय होने के बाद भी किसानों की परेशानी बनी हुई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान पर विपक्ष ने किसानों को धोखा देने का आरोप लगाया। इसे लेकर कांग्रेस नेता अजय सिंह ने कहा कि भाजपा में भावों को लेकर मतभेद हैं और इसी कारण किसानों को परेशानी उठाना पड़ रही है।
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