मुंबईः चर्चित भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपित नागरिक अधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, अरूण फरेरा और वेरनॉन गोंजाल्विस को बड़ा झटका लगा है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कल यानि मंगलवार को माओवादियों के साथ संपर्क रखने और पुणे में कोरेगांव-भीमा में जाति आधारित हिंसा को कथित तौर पर भड़काने के आरोप में गिरफ्तार इन नागरिक अधिकार कार्यकर्ताों को जमानत देने से मना कर दिया। जस्टिस सारंग कोटवाल ने तीनों कार्यकर्ताओं की जमानत याचिकाओं को अस्वीकार कर दिया।
बीते साल अगस्त महीने में महाराष्ट्र की पुणे पुलिस ने आरोपियों को पहले नजरबंद किया था। पुणे की एक सत्र अदालत द्वारा उनकी जमानत याचिकाएं ठुकराने के बाद 26 अक्टूबर को उन्हें हिरासत में ले लिया गया था। उस वक्त तीनों कार्यकर्ता जेल में हैं। जिसके बाद उन्होंने बीते साल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पुलिस ने तीनों आरोपियों और कई अन्य के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम तथा भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है।
31 दिसंबर 2017 को एलगार परिषद का आयोजन हुआ था जिसके अगले दिन पुणे के कोरेगांव-भीमा गांव में हिंसा भड़क गई थी। इसी के बाद जनवरी 2018 में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। पुलिस ने आरोप लगाया कि आरोपियों के माओवादियों के साथ संपर्क हैं और वह सरकार का तख्तापलट करने की योजना बना रहे हैं। हालांकि तीनों आरोपियों ने पुलिस के पास उनके खिलाफ सबूत न होने का दावा किया है।
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