मुंबई। महाराष्ट्र के पुणे के भीमा कोरेगांव में भड़की हिंसा का मामला अब देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। इस मामले में इतिहासकार रोमिला थापर और चार अन्य कार्यकर्ताओं ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के विरोध में उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की।
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न्यायालय में दायर इस याचिका में इतिहासकार रोमिला थापर और उनके साथी कार्यकर्ताओं ने इस मामले में गिरफ्तार किये गए कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग की है। उन्होंने इन कार्यकर्ताओं की रिहाई के साथ ही मामले की स्वतंत्र जांच कराने का भी किया है। देश की उच्चतम न्यायालय सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई के लिये तैयार हो गया। कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के लिये आज पौने चार बजे का समय निर्धारित किया है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ द्वारा इस मामले में सुनवाई की जाएगी।
इसके साथ ही महाराष्ट्र हाई कोर्ट आज दोपहर सवा दो बजे मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमे गौतम ने महाराष्ट्र पुलिस द्वारा अपनी गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए मामले की निष्पक्ष जाँच करवाने की बात कही थी। इस मामले में मशहूर लेखक अरुंधति रॉय ने सरकार पर कंज कस्ते हुए कहा है कि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी से लगता है कि जल्द ही देश में एमेर्जेंमसी की घोषणा की जा सकती है।
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गौरतलब है कि भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने मंगलवार के दिन कई सामाजिक कार्यकर्ताओं के घरों पर छापेमारी की थी। पुलिस ने भीमा कोरेगाँव में हिंसा भड़काने के आरोप में सुधा भारद्वाज, वरवरा राव और गौतम नवलखा समेत पांच लोगों को ग़िरफ़्तार कर लिया गया है।
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