नई दिल्ली। पिछले कई हफ़्तों से पूरे देश में विवादों में चल रहे भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में आज दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में गिरफ्तार किये गए पांच मानवाधिकारियों में से एक गौतम नवलखा को एक अच्छी खुशखबरी दी है। दरअसल कोर्ट ने आज गौतम नवलखा उनके ही घर में नजरबन्द किये जाने के आदेश निरस्त कर दिया है।
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यह फैसला दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस मुरलीधर ने दिया है। उन्होंने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में संविधान और अपराध प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। जस्टिस मुरलीधर ने ट्रायल कोर्ट द्वारा के पिछले आदेश को निरस्त करते गौतम नवलखा को घर मे नजरबन्द रखे जाने से आजादी दे दी है। इस मामले की पिछली सुनवाई 29 अगस्त को हुई थी जिसमे दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि गिरफ्तारी का मेमो मराठी भाषा में था ऐसे में जो व्यक्ति इस भाषा को नहीं जनता है वो अपनी गिरफ्तारी की वजह कैसे जान पायेगा।
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दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस मुरलीधर ने इस बारे में अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए पुलिस से सवाल किया है कि अभी तक इस गिरफ़्तारी से संबंधित दस्तावेजों का अनुवाद क्यों नहीं हो पाया है, यदि कोई वयक्ति एक मिनट के लिए भी जेल जाता है तो ये बेहद गंभीर बात है और इसे इतने हलके में कैसे लिया जा सकता है।
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