भीम आर्मी कार्यकर्ता की रिश्तेदार पूजा को मोहम्मद आलम ने मार डाला, संगठन ने ही नहीं दिया साथ, पीड़ित बोले- उन्हें मुस्लिम वोट चाहिए..

भीम आर्मी कार्यकर्ता की रिश्तेदार पूजा को मोहम्मद आलम ने मार डाला, संगठन ने ही नहीं दिया साथ, पीड़ित बोले- उन्हें मुस्लिम वोट चाहिए..
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लखनऊ: भीम आर्मी कार्यकर्ता सुमित कुमार की साली पूजा की 19 जुलाई को मोहम्मद आलम ने बेरहमी से हत्या कर दी थी। इस वीभत्स हत्याकांड में दलितों की आवाज़ होने का दावा करने वाला संगठन भीम आर्मी पीड़ित परिवार के साथ खड़ा नहीं हुआ। जबकि पीड़ित खुद उनकी पार्टी का कार्यकर्ता है। सुमित कुमार ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि, "संगठन मुस्लिम वोट नहीं खोना चाहता, इसलिए उसने मदद नहीं की।" मामला उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले का है।

सुमित ने बताया है कि वह दलित संगठन भीम आर्मी का वरिष्ठ सदस्य है। उसने कहा कि, "जब मेरी भाभी के साथ इतनी बड़ी घटना हुई तो मैं मदद के लिए संगठन के पास गया, लेकिन मुझे कोई मदद नहीं मिली।" रिपोर्ट के अनुसार, पूजा अपने पहले पति से अलग हो गई थी और अपने तीन बच्चों के साथ अकेली रह रही थी। इस दौरान, उसका मोहम्मद आलम उसके संपर्क में आया, जो शादीशुदा था और उसके चार बच्चे थे। लगभग छह महीने पहले पूजा ने इस्लाम कबूलकर आलम से निकाह किया, कुछ दिन तक सब ठीक चला और फिर आलम ने पूजा की हत्या कर दी। मोहम्मद अलाम पूजा की बेटी पर भी गंदी नज़र रखता था, जिसका पूजा विरोध करती थी, इसके चलते भी दोनों में झगड़ा होता था

 

पूजा का शव अभी तक पुलिस को नहीं मिला है, जबकि उसके बच्चे सुमित और उसकी पत्नी पूनम के पास हैं। सुमित कुमार बीते 8 साल से भीम आर्मी के वरिष्ठ सदस्य हैं। दलित संगठन का नेतृत्व सांसद चंद्रशेखर आज़ाद 'रावण' करते हैं। सुमित ने बताया कि, "पिछले हफ्ते, जब पूजा की हत्या आलम ने की थी, तो मैं मदद के लिए संगठन के पास गया था, लेकिन मुझे कोई मदद नहीं मिली।" उन्होंने बताया कि घटना के बाद वे आज़ाद समाज पार्टी के दफ़्तर गए, जहाँ उन्होंने कई लोगों से बात की, लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की। उन्होंने कहा , "मुझे लगता है कि मुझे मदद नहीं मिली, क्योंकि उपचुनाव होने वाले हैं और वे मुस्लिम वोट नहीं खोना चाहते थे।"

सुमित कुमार ने आगे कहा, “[गाजियाबाद सदर] विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव नजदीक हैं और संगठन मुस्लिम वोट नहीं खोना चाहता।”  25 जुलाई को उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, "मेरा ज़िक्र एक फील्ड वर्कर के तौर पर करें न कि दलित नेता के तौर पर, क्योंकि इससे हमारे लिए और भी ज़्यादा परेशानी खड़ी हो सकती है, ख़ास तौर पर पूजा के बच्चों की ज़िम्मेदारी मेरी है।" खास बात यह है कि वह उत्तर प्रदेश पुलिस के खिलाफ भी निडर होकर बोल रहे थे। उन्होंने पुलिस पर सवाल उठाए, जिसने बताया था कि मोहम्मद आलम के इस कबूलनामे के बाद मामला सुलझ गया है कि उसने गुस्से में पूजा की हत्या कर दी और फिर शव को गंगनहर में फेंक दिया ।

 

पुलिस के समक्ष अपने इकबालिया बयान में आलम ने दावा किया था कि पूजा द्वारा उसकी पत्नी को छोड़ने और उसके साथ रहने की बार-बार की गई विनती से वह क्रोधित हो गया, जिसके कारण उसने उसकी हत्या कर दी। अपने कबूलनामे में आलम ने कहा था कि, "पूजा करीब चार साल से मेरे साथ रह रही थी। मैंने पूजा से करीब छह महीने पहले निकाह किया था। उसके पहले पति टीटू से उसके तीन बच्चे थे। उसके बाद वह मेरे साथ रहने लगी। मैं पहले से शादीशुदा हूँ; मेरी पत्नी का नाम शाना है और हमारे चार बच्चे हैं। मेरा एक बेटा जिबराल, जिसकी उम्र करीब चार साल है, पिछले कई दिनों से बीमार है। मैं उसका इलाज फैमिली मेडिकेयर सेंटर, मेन रोड मसूरी, गाजियाबाद में करवा रहा था।"

आरोपी मोहम्मद आलम ने बताया था कि, “पूजा मेरे साथ गाजियाबाद के सेक्टर-09 के पास चाइल्डून एकेडमी स्कूल में रहती थी। वह अक्सर मुझसे कहती थी कि मैं अपनी पत्नी शाना को छोड़कर उसके साथ रहूँ। इस बात को लेकर अक्सर बहस होती थी। एक दिन पूजा ने मुझे फोन करके घर आने को कहा। मैंने उससे कहा कि मेरा बेटा अस्पताल में है और मैं नहीं आ सकता। पूजा गुस्सा हो गई और उसने कहा कि वह कई दिनों से बीमार है, लेकिन मैं उससे मिलने नहीं गया। उसने अस्पताल आकर मुझसे भिड़ने की धमकी दी। मैंने उसे शांत करने की कोशिश की, लेकिन वह अपनी जिद पर अड़ी रही, जिससे मैं गुस्से में आ गया। मैंने उससे हमेशा के लिए निपटने का फैसला किया।”

हालांकि, इस बारे में सुमित का कहना है कि, "पुलिस ने हमें CCTV फुटेज दिखाई, जिसमें दिखाया गया कि आलम पूजा के साथ घर से निकला था और उसकी हत्या करने और उसके शव को नहर में फेंकने के सात मिनट बाद ही वापस लौटा। एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जो गाड़ी चलाता है, मैं जानता हूं कि इतने कम समय में यह सब करना लगभग असंभव है। इस मामले में अन्य व्यक्ति भी शामिल हैं, और गहन जांच से उनकी पहचान सामने आएगी।"

बता दें कि 1 अगस्त को जब सुमित से पूछा गया कि क्या पुलिस पूजा का शव ढूंढ़ने में सफल हो गई है, तो उन्होंने कहा कि नहीं, और वे प्रशासन की निष्क्रियता से नाराज थे। जब संवाददाता ने भीम आर्मी के खिलाफ उनके बयान को उद्धृत करने के लिए कहा, तो उन्होंने कहा कि, "जो कोई भी मेरे मुश्किल समय में मेरी मदद नहीं करता है, उसे बेनकाब किया जाना चाहिए। जब ​​उन्हें मदद की ज़रूरत होती है तो वे दलित दलित का नारा लगाते हैं और जब हमें उनकी ज़रूरत होती है, तो गायब हो जाते हैं। आप लिखिए, मुझे कोई डर नहीं है।" 

बता दें कि पूजा का शव अभी तक बरामद नहीं हुआ है, इसलिए आलम पर केवल अपहरण की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, हत्या की नहीं। प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR संख्या: 549/2024) के अनुसार, आलम पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 140 (2) के तहत आरोप लगाया गया है , जो हत्या या फिरौती के लिए अपहरण या अपहरण से संबंधित है। मीडिया से बात करते हुए पीड़िता की बड़ी बहन पूनम ने बताया कि पूजा की 11 वर्षीय बेटी ने बताया कि आलम अक्सर उसकी मां के साथ दुर्व्यवहार करता था और मारपीट करता था। एक भी रात बिना दुर्व्यवहार और मारपीट के नहीं गुजरती थी। जब भी वह आता था, तो और पैसे मांगता था और पार्लर से होने वाली सारी कमाई ले लेता था।

पूनम ने बताया था कि बेटी ने यह भी बताया कि आलम ने उसके साथ छेड़छाड़ की थी। कई मौकों पर उसने उसे गलत तरीके से छुआ, खासकर उसके शरीर के ऊपरी हिस्से को, जिसके कारण पूजा और आलम के बीच कई बार झगड़े हुए। बच्चों ने पुलिस स्टेशन जाने से पहले परिवार के बाहर किसी को भी ये अनुभव नहीं बताए थे। पहली बार पुलिस को देखकर वे डर गए थे। सुमित कुमार बच्चों के बयानों का समर्थन करते हैं और न्याय के लिए लड़ने की कसम खाते हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या नाबालिग लड़के का खतना किया गया था, तो सुमित ने कहा कि नहीं। गौर करने वाली बात यह है कि FIR में इसका भी कोई जिक्र नहीं है। यह मामला अभी खत्म नहीं हुआ है।  

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