नई दिल्ली: भीमा कोरेगाव मामले में गिरफ्तार किए गए 5 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के संबंध में आज सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाने वाली है. इतिहासकार रोमिला थापर, अर्थशास्त्री प्रभात पटनायक, देवकी जैन और समाजशास्त्र के प्रोफेसर सतीश देशपांडे ने अदालत में अपनी याचिका में इन गिरफ्तारियों के संदर्भ में स्वतंत्र जांच और कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई की मांग की थी. कोर्ट फैसले के जरिए तय करेगा कि पांच एक्टिविस्टों के खिलाफ पुणे पुलिस की जांच जारी रहेगी या नहीं. इससे पहले अदालत ने कहा था कि वह मामले पर अपनी नज़र गड़ाए रखेगा, क्योंकि सिर्फ कयास या अनुमान के नाम पर किसी को दोषी नहीं माना जा सकता है.
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इससे पहले 20 सितम्बर को मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने दोनों पक्षों की सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. उल्लेखनीय है कि पुलिस ने 28 अगस्त को देश भर के विभिन्न राज्यों में छापेमारी करके वरवरा राव, अरुण फरेरा, वरनॉन गोंजाल्विस, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद अदालत ने उन्हें पुलिस हिरासत में न रखते हुए उन्हें अपने-अपने घरों में ही नज़रबंद रखने का फैसला सुनाया था.
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आपको बता दें कि 31 दिसंबर 2017 को हुए एल्गर परिषद् सम्मेलन के बाद महाराष्ट्र के भीमा कोरेगाव इलाके में भड़की हिंसा के लिए उपरोक्त मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की भड़काऊ टिप्पणी को जिम्मेदार बताते हुए उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई थी, जिसके बाद पुलिस ने कार्यवाही करते हुए उन्हें गिरफ्तार किया था.
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