मुंबईः चर्चित एलगार परिषद-भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में पुलिस द्वारा आरोपी बनाए गए सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज के वकील ने कल यानि शुक्रवार को बांबे हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। भारद्वाज के वकील ने कहा कि पुलिस ने कोई ठोस सबूत न होने का बावजूद उन्हें फंसाया है।
वकील ने कहा कि पुणे पुलिस ने अपने पास उनकी मुवक्किल के खिलाफ माओवादी संबंधों को लेकर कोई असली मामला नहीं होेने के कारण ‘राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्र’ का सहारा लिया। सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज फरीदाबाद की निवासी हैं। शुक्रवार को उनकी जमानत याचिका पर जस्टिस सारंग कोतवाली की पीठ के सामने सुनवाई हो रही थी।
सुधा के वकील युग चौधरी ने बताया कि, उसके मुवक्किल के खिलाफ सारा मामला कुछ तय दस्तावेजों पर आधारित है, जो कथित तौर पर पुलिस ने कुछ सह आरोपियों के कंप्यूटरों और लैपटॉपों से जब्त किए हैं। वकील ने कहा, ये दस्तावेज भारद्वाज का इस मामले से संबंध साबित करने में विफल रहे हैं। पुलिस महज इस यकीन पर काम कर रही है कि यदि वह राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्र का ऊंची आवाज में जाप करेगी, तो कोर्ट अपना अक्ल पर ताला लगा लगी और सबूतों पर मुहर लगा देगी।
वकील ने पुलिस चार्जशीट के झोल की तरफ भी कोर्ट का ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा, चार्जशीट में एक दस्तावेज दो जनवरी, 2018 को नागपुर में हुई बैठक की मिनट्स बताया गया है। इसके अनुसार, भारद्वाज और सह आरोपी शोमा सेन माओवादी कैडर की इस बैठक का हिस्सा थीं, जिसमें कथित तौर पर बम बनाने आदि पर चर्चा की गई। बता दें कि इस मामले ने काफी तूल पकड़ा था।
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