भारत की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा गौतम नवलखा की जमानत याचिका पर विचार किए जाने को लेकर नाराजगी जताई है. खासकर तब जब शीर्ष अदालत नवलखा की ऐसी ही याचिका को खारिज करते हुए उन्हें तय समय पर आत्मसमर्पण करने को कह चुकी है. जनवरी, 2018 में पुणे जिले के कोरेगांव भीमा गांव में हुई हिंसा के सिलसिले में पुणे पुलिस ने नवलखा को अगस्त 2018 में दिल्ली स्थित उसके आवास से गिरफ्तार किया था. हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट ने ट्रांजिट रिमांड के आदेश को दरकिनार कर दिया था.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा एवं जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दो जून को दिए गए अंतरिम आदेश लागू रहेंगे. शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के 27 मई के फैसले पर रोक लगा दी थी. हाई कोर्ट ने इस फैसले में नवलखा को दिल्ली के तिहाड़ जेल से मुंबई ले जाने में जल्दबाजी दिखाने को लेकर एनआइए की खिंचाई की थी. सुनवाई के दौरान एनआइए की ओर से उपस्थित अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने कहा कि निचली अदालत से रिकॉर्ड मंगवाना दिल्ली हाई कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है.
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इसके अलावा अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने यह भी कहा कि कहा कि एनआईए ने नवलखा को मुंबई ले जाने में जल्दबाजी नहीं दिखायी है क्योंकि निचली अदालत इस संबंध में पेशी वारंट जारी कर चुकी थी. पीठ ने कहा, 'जब हमने समान आधार पर नवलखा की जमानत याचिका खारिज कर दी थी और उन्हें समर्पण करने को कहा था तो दिल्ली हाई कोर्ट को उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई करने का क्या अधिकार है.' पीठ ने याचिका की एक प्रति नवलखा को मुहैया कराये जाने का आदेश देते हुए कहा कि मामले की अगली सुनवाई जुलाई में होगी. साथ ही कहा कि अगले आदेश तक अंतरिम आदेश ही प्रभावी होंगे.
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