आप सभी को बता दें कि माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भीष्म अष्टमी के नाम से पुकारते हैं और इस दिन व्रत करने का विशेष महत्व माना जाता है. आप सभी को यह तो पता ही होगा कि इस बार यह व्रत 13 फरवरी, यानी आज बुधवार को रखा जा रहा है. ऐसे में धर्म शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर अपने प्राण त्यागे थे और उनकी स्मृति में यह व्रत रखा जाता है. कहते हैं इस दिन प्रत्येक हिंदू को भीष्म पितामह के निमित्त कुश, तिल व जल लेकर तर्पण करना चाहिए और सुंदर और गुणवान संतान के लिए ये व्रत किया जाता है ऐसी मान्यता है. आइए जानते हैं इससे जुडी तीन प्रमुख बातें.
1. कहते हैं पितामह भीष्म ने ब्रह्मचर्य का वचन लिया और इसका जीवनभर पालन किया और अपनी सत्यनिष्ठा और अपने पिता के प्रति प्रेम के कारण उन्हें वरदान था कि वह अपनी मृत्यु का समय स्वयं निश्चित कर उसे पा सकते हैं.
2. कहा जाता है पितामह भीष्म ने अपनी देह को त्यागने के लिए माघ माह में शुक्ल पक्ष अष्टमी का चयन किया, क्योंकि उस समय सूर्यदेव उत्तरायण में वापस आ रहे थे और माघ शुक्ल अष्टमी को उनका निर्वाण दिवस माना जाता है.
3. ज्योतिषों के अनुसार इस दिन तिल, जल और कुश से पितामह भीष्म के निमित्त तर्पण करने का विधान माना आया है और मान्यता है कि ऐसा करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट होने लगते हैं और इस व्रत के प्रभाव से पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है.