आपने अपने बचपन में अपने पिता या दादा जी को भोजन करने से पहले थाली के चारो तरफ तीन बार जल (पानी) छिड़कते देखा होगा. यही नहीं बल्कि पहले के लोग मंत्रो का उच्चरण करने के बाद ही भोजन ग्रहण करते थे. लेकिन आज के समय में ऐसा करते हुए बहुत ही कम लोग दिखाई देते है. क्या आप जानते है कि भोजन करने से पहले ऐसा क्यों किया जाता है.
ऐसा इसलिए किया जाता था, क्योंकि ऐसा करके हमारे बुजुर्ग अन्न के प्रति सम्मान प्रकट करते थे. ताकि घर में और बाहर कोई व्यक्ति भोजन के लिए न तरसे. वहीं इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी बताये गए है. जैसा कि हम सभी जानते है कि पहले के समय में ज्यादातर घर मिट्टी के बने हुए थे इसलिए घर की फर्श भी कच्ची होती थी.
पहले के लोग आज के जमाने की तरह कुर्सी पर बैठने के बजाय वह जमीन पर खाना खाना पसंद करते थे हालांकि पहले के ज़माने में इतनी सुविधा भी नहीं हुआ करती थी. जब वे लोग खाना खाते थे तो जमीन पर बैठकर ही खाना खाते थे, जिनके पास थाली होती थी वह थाली में खाते थे, जिनके पास कुछ नही होता था वह केले के पत्तों में खाना खाते थे.
भोजन के दौरान वह अपनी थाली के आस पास पानी इसलिए छिड़कते थे ताकि उनकी भोजन की थाली में किसी प्रकार की धूल मिट्टी न जाए. इसके अलावा ये भी बताया गया है कि खाना खाने के दौरान उनकी भोजन की थाली तक कीड़े मकोड़े न आये इसलिए भी वह थाली के चारो और पानी छिड़क लेते थे.
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